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अच्छा॒ यो गन्ता॒ नाध॑मानमू॒ती इ॒त्था विप्रं॒ हव॑मानं गृ॒णन्त॑म्। उप॒ त्मनि॒ दधा॑नो धु॒र्या॒३॒॑शून्त्स॒हस्रा॑णि श॒तानि॒ वज्र॑बाहुः ॥४॥

English Transliteration

acchā yo gantā nādhamānam ūtī itthā vipraṁ havamānaṁ gṛṇantam | upa tmani dadhāno dhury āśūn sahasrāṇi śatāni vajrabāhuḥ ||

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Pad Path

अच्छ॑। यः। गन्ता॑। नाध॑मानम्। ऊ॒ती। इ॒त्था। विप्र॑म्। हव॑मानम्। गृ॒णन्त॑म्। उप॑। त्मनि॑। दधा॑नः। धुरि। आ॒शून्। स॒हस्रा॑णि। श॒तानि॑। वज्र॑ऽबाहुः ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:29» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:18» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (गन्ता) चलनेवाला (ऊती) रक्षण आदि के लिये (इत्था) इस प्रकार से (नाधमानम्) ऐश्वर्य्यवान् प्रशंसित (हवमानम्) ईर्ष्या करनेवाले (गृणन्तम्) स्तुति करते हुए (विप्रम्) बुद्धिमान् को (त्मनि) आत्मा में (उप, दधानः) धारण करता हुआ (सहस्राणि) सहस्रों और (शतानि) सैकड़ों (आशून्) शीघ्र चलनेवाले घोड़ों को (धुरि) रथ के जुए में धारण करता हुआ (अच्छ) उत्तम प्रकार चलनेवाला (वज्रबाहुः) शस्त्र हाथों में लिये राजा होवे, वह हम लोगों को भयरहित करने योग्य हो ॥४॥
Connotation: - जो राजा श्रेष्ठ मनुष्यों को ग्रहण करे, वही राज्य बढ़ाने को योग्य होवे ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो गन्तोती इत्था नाधमानं हवमानं गृणन्तं विप्रं त्मन्युप दधानः सहस्राणि शतान्याशून् धुरि दधानोऽच्छ गन्ता वज्रबाहू राजा भवेत् सोऽस्मानभयङ्कर्त्तुमर्हेत् ॥४॥

Word-Meaning: - (अच्छ) सम्यक्। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (यः) (गन्ता) (नाधमानम्) ऐश्वर्य्यवन्तं प्रशंसितम् (ऊती) रक्षणाद्याय (इत्था) अनेन प्रकारेण (विप्रम्) मेधाविनम् (हवमानम्) स्पर्धमानम् (गृणन्तम्) स्तुवन्तम् (उप) (त्मनि) आत्मनि (दधानः) (धुरि) रथस्य युग्मे (आशून्) आशुगामिनोऽश्वात् (सहस्राणि) (शतानि) बहून् (वज्रबाहुः) शस्त्रहस्तः ॥४॥
Connotation: - यो नृपः श्रेष्ठान् मनुष्यान् सङ्गृह्णीत स एव राज्यं वर्द्धयितुमर्हेत् ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो राजा श्रेष्ठ माणसांचा स्वीकार करतो तोच राज्य वाढविण्यायोग्य असतो. ॥ ४ ॥