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स वृ॑त्र॒हत्ये॒ हव्यः॒ स ईड्यः॒ स सुष्टु॑त॒ इन्द्रः॑ स॒त्यरा॑धाः। स याम॒न्ना म॒घवा॒ मर्त्या॑य ब्रह्मण्य॒ते सुष्व॑ये॒ वरि॑वो धात् ॥२॥

English Transliteration

sa vṛtrahatye havyaḥ sa īḍyaḥ sa suṣṭuta indraḥ satyarādhāḥ | sa yāmann ā maghavā martyāya brahmaṇyate suṣvaye varivo dhāt ||

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Pad Path

सः। वृ॒त्र॒ऽहत्ये॑। हव्यः॑। सः। ईड्यः॑। सः। सुऽस्तु॑तः। इन्द्रः॑। स॒त्यऽरा॑धाः। सः। याम॑न्। आ। म॒घऽवा॑। मर्त्या॑य। ब्र॒ह्म॒ण्यते॒। सुस्व॑ये। वरि॑वः। धा॒त् ॥२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:24» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:11» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पूर्वोक्त विषय के अन्तर्गत धनुर्वेदाध्ययन के फल को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (मघवा) सत्कृत राज्ययुक्त (सुष्वये) ऐश्वर्य्य की प्राप्ति का अनुष्ठान करनेवाले (ब्रह्मण्यते) अपने धर्म से धन की इच्छा करनेवाले (मर्त्याय) मनुष्य के लिये (वरिवः) सेवन को (आ, धात्) धारण करे (सः) वह (इन्द्रः) अत्यन्त ऐश्वर्य्यवाला (यामन्) मार्ग में (सः) वह (सत्यराधाः) न्याय से इकट्ठे किये हुए सत्यधन से युक्त (सः) वह (वृत्रहत्ये) बड़े सङ्ग्राम में (सुष्टुतः) सर्वत्र प्राप्त उत्तम कीर्त्तियुक्त (सः) वह (ईड्यः) प्रशंसा करने योग्य और वह (हव्यः) पुकारने योग्य होवे ॥२॥
Connotation: - जो मनुष्य बाल्यावस्था से लेकर उत्तम चेष्टायुक्त, विद्वानों की सेवा करनेवाला, उत्तम प्रकार शिक्षायुक्त, न्यायमार्ग का अनुगामी, धनुर्वेद का जाननेवाला, चतुर और युद्ध में भयरहित होवे, उसी को राजा करो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथोक्तविषये धनुर्वेदाध्ययनफलमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो मघवा सुष्वये ब्रह्मण्यते मर्त्याय वरिव आ धात् स इन्द्रो यामन् स सत्यराधाः स वृत्रहत्ये सुष्टुतः स ईड्यः स हव्यश्च भवेत् ॥२॥

Word-Meaning: - (सः) (वृत्रहत्ये) महासङ्ग्रामे (हव्यः) आह्वातुं योग्यः (सः) (ईड्यः) प्रशंसितुमर्हः (सः) (सुष्टुतः) सर्वत्र प्राप्तसुकीर्त्तिः (इन्द्रः) परमैश्वर्य्यवान् (सत्यराधाः) न्यायोपार्जितसत्यधनः (सः) (यामन्) यामनि मार्गे (आ) (मघवा) पूजितराज्यः (मर्त्याय) मनुष्याय (ब्रह्मण्यते) आत्मनो धर्मेण धनमिच्छते (सुष्वये) ऐश्वर्य्यप्राप्त्यनुष्ठात्रे (वरिवः) सेवनम् (धात्) दध्यात् ॥२॥
Connotation: - यो मनुष्यो बाल्याऽवस्थामारभ्य सुचेष्टो विद्वत्सेवी सुशिक्षो न्यायमार्गाऽनुवर्ती धनुर्वेदविदज्ञो युद्धे निर्भयः स्यात्तमेव राजानङ्कुरुत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो माणूस बाल्यावस्थेपासून उत्तम प्रयत्नशील विद्वानांची सेवा करणारा, उत्तम शिक्षणयुक्त, न्याय मार्गाचा अनुगामी, धनुर्वेद जाणणारा, चतुर व युद्धात निर्भय असेल त्यालाच राजा करा. ॥ २ ॥