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क॒था स॒बाधः॑ शशमा॒नो अ॑स्य॒ नश॑द॒भि द्रवि॑णं॒ दीध्या॑नः। दे॒वो भु॑व॒न्नवे॑दा म ऋ॒तानां॒ नमो॑ जगृ॒भ्वाँ अ॒भि यज्जुजो॑षत् ॥४॥

English Transliteration

kathā sabādhaḥ śaśamāno asya naśad abhi draviṇaṁ dīdhyānaḥ | devo bhuvan navedā ma ṛtānāṁ namo jagṛbhvām̐ abhi yaj jujoṣat ||

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Pad Path

क॒था। स॒ऽबाधः॑। श॒श॒मा॒नः। अ॒स्य॒। नश॑त्। अ॒भि। द्रवि॑णम्। दीध्या॑नः। दे॒वः। भु॒व॒त्। नवे॑दाः। मे॒। ऋ॒ताना॑म्। नमः॑। ज॒गृ॒भ्वान्। अ॒भि। यत्। जुजो॑षत् ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:23» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:9» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (अस्य) इस का (सबाधः) बाधसहित अर्थात् दुःख के सहित वर्त्तमान (कथा) किस प्रकार से (नशत्) नष्ट होता है (द्रविणम्) धन का (अभि, दीध्यानः) सब ओर से प्रकाश और (शशमानः) प्रशंसा करता हुआ (देवः) विद्वान् किस प्रकार (भुवत्) होवे (नवेदाः) नहीं जाननेवाला जन (मे) मेरे (ऋतानाम्) सत्य व्यवहारों के सम्बन्ध में (नमः) अन्न को (जगृभ्वान्) ग्रहण किये हुए (यत्) जो जन वह किस प्रकार से (अभि, जुजोषत्) सेवन करता है ॥४॥
Connotation: - हे अध्यापक वा राजन् ! किस प्रकार से इस विद्या वा अभय को प्राप्त होवे? और किस प्रकार से ये विद्वान् होवें? इस प्रश्न का, जो सत्कार से श्रेष्ठ पुरुषों से शिक्षा को ग्रहण करके धर्म्म का सेवन करें, यह उत्तर है ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! अस्य सबाधः कथा नशद् द्रविणमभि दीध्यानः शशमानो देवः कथा भुवन्नवेदा म ऋतानां नमो जगृभ्वान् यद्यः स कथाऽभि जुजोषत् ॥४॥

Word-Meaning: - (कथा) (सबाधः) बाधेन सह वर्त्तमानः (शशमानः) प्रशंसन् (अस्य) (नशत्) नश्यति (अभि) (द्रविणम्) धनम् (दीध्यानः) प्रकाशयन् (देवः) विद्वान् (भुवत्) भवेत् (नवेदाः) यो न वेत्ति सः (मे) मम (ऋतानाम्) सत्यानाम् (नमः) अन्नम् (जगृभ्वान्) गृहीतवान् (अभि) (यत्) यः (जुजोषत्) सेवते ॥४॥
Connotation: - हे अध्यापक राजन् वा ! कथमेतान् विद्याऽभयं वा प्राप्नुयात्। कथमिमे विद्वांसो भवेयुरिति प्रश्नस्य ये सत्कारेण सत्पुरुषेभ्यः शिक्षां गृहीत्वा धर्म्मं सेवेरन्नित्युत्तरम् ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे अध्यापका किंवा राजा! कोणत्या प्रकारे ही विद्या किंवा निर्भयता प्राप्त होईल व कोणत्या प्रकारे हे विद्वान होतील या प्रश्नाचे उत्तर असे की, जो सत्कारपूर्वक श्रेष्ठ पुरुषांकडून शिक्षण घेऊन धर्माचे पालन करतो तो विद्वान होईल. ॥ ४ ॥