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आ न॒ इन्द्रो॑ दू॒रादा न॑ आ॒साद॑भिष्टि॒कृदव॑से यासदु॒ग्रः। ओजि॑ष्ठेभिर्नृ॒पति॒र्वज्र॑बाहुः स॒ङ्गे स॒मत्सु॑ तु॒र्वणिः॑ पृत॒न्यून् ॥१॥

English Transliteration

ā na indro dūrād ā na āsād abhiṣṭikṛd avase yāsad ugraḥ | ojiṣṭhebhir nṛpatir vajrabāhuḥ saṁge samatsu turvaṇiḥ pṛtanyūn ||

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Pad Path

आ। नः॒। इन्द्रः॑। दू॒रात्। आ। नः॒। आ॒सात्। अ॒भि॒ष्टि॒ऽकृत्। अव॑से। या॒स॒त्। उ॒ग्रः। ओजि॑ष्ठेभिः। नृ॒ऽपतिः॑। वज्र॑ऽबाहुः। स॒म्ऽगे। स॒मत्ऽसु॑। तु॒र्वणिः॑। पृ॒त॒न्यून् ॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:20» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:3» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब ग्यारह ऋचावाले बीसवें सूक्त का प्रारम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में इन्द्रपदवाच्य राजगुणों को कहते हैं ॥१॥

Word-Meaning: - हे राजा और प्रजाजनो ! जो (अभिष्टिकृत्) अपेक्षित सुख करनेवाला (वज्रबाहुः) शस्त्रविशेष जिसकी बाहु में विद्यमान (उग्रः) जो तेजस्वी (नृपतिः) मनुष्यों का पालन करनेवाला (तुर्वणिः) शीघ्रकारी (इन्द्रः) अत्यन्त ऐश्वर्यवान् राजा (ओजिष्ठेभिः) अत्यन्त बल आदि गुणों से युक्त मनुष्यों में उत्तम सेनाजनों के साथ (नः) हम लोगों की वा हम लोगों के अर्थ (अवसे) रक्षा आदि के लिये (दूरात्) दूर और (आसात्) समीप से वा (आ) सब प्रकार सेना (यासत्) प्राप्त होवे और (समत्सु) सङ्ग्रामों में (पृतन्यून्) अपनी सेना की इच्छा करनेवाले (नः) हम लोगों को (सङ्गे) साथ (आ) प्राप्त होवे, वह हम लोगों से सदा ही रक्षा करने और सत्कार करने योग्य है ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! सब प्रकार से रक्षा करनेवाले, बड़े बलिष्ठ, विद्या और बलयुक्त श्रेष्ठ सेनाजनों के सहित वर्त्तमान और सङ्ग्राम में जीतनेवाले राजा को स्वीकार करके सब काल में आनन्द करो ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेन्द्रपदवाच्यराजगुणानाह ॥

Anvay:

हे राजप्रजाजना ! योऽभिष्टिकृद्वज्रबाहुरुग्रो नृपतिस्तुर्वणिरिन्द्र ओजिष्ठेभिस्सह नोऽवसे दूरादासाद्वाऽऽयासत्समत्सु पृतन्यून्नोऽस्मान् सङ्ग आयासत् सोऽस्माभिस्सदैव रक्षणीयः सत्कर्त्तव्यश्च ॥१॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (नः) अस्मान् (इन्द्रः) परमैश्वर्य्यवान् राजा (दूरात्) (आ) (नः) अस्माकमस्मभ्यं वा (आसात्) समीपात् (अभिष्टिकृत्) अभीष्टसुखकारी (अवसे) रक्षणाद्याय (यासत्) प्राप्नुयात् (उग्रः) तेजस्वी (ओजिष्ठेभिः) अतिशयेन बलादिगुणयुक्तैर्नरोत्तमसैन्यैः (नृपतिः) नृणां पालकः (वज्रबाहुः) वज्रः शस्त्रविशेषो बाहौ यस्य सः (सङ्गे) सह (समत्सु) सङ्ग्रामेषु (तुर्वणिः) शीघ्रकारी (पृतन्यून्) आत्मनः पृतनां सेनामिच्छून् ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्याः ! सर्वतोऽभिरक्षितारम्महाबलिष्ठं विद्याबलयुक्तं सभ्यसेनं संग्रामे विजेतारं राजानं स्वीकृत्य सर्वदाऽऽनन्दन्तु ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात इंद्र, राजा, अमात्य व विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर मागच्या सूक्ताच्या अर्थाची संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! सर्व प्रकारे रक्षण करणाऱ्या अत्यंत बलवान, विद्या व बलयुक्त श्रेष्ठ सेनेसहित असणाऱ्या, युद्धात जिंकणाऱ्या राजाचा स्वीकार करून सर्व काळी आनंदी राहा. ॥ १ ॥