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यस्ते॒ भरा॒दन्नि॑यते चि॒दन्नं॑ नि॒शिष॑न्म॒न्द्रमति॑थिमु॒दीर॑त्। आ दे॑व॒युरि॒नध॑ते दुरो॒णे तस्मि॑न्र॒यिर्ध्रु॒वो अ॑स्तु॒ दास्वा॑न् ॥७॥

English Transliteration

yas te bharād anniyate cid annaṁ niśiṣan mandram atithim udīrat | ā devayur inadhate duroṇe tasmin rayir dhruvo astu dāsvān ||

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Pad Path

यः। ते॒। भरा॑त्। अन्नि॑ऽयते। चि॒त्। अन्न॑म्। नि॒ऽशिष॑त्। म॒न्द्रम्। अति॑थिम्। उ॒त्ऽईर॑त्। आ। दे॒व॒ऽयुः। इ॒नध॑ते। दु॒रो॒णे। तस्मि॑न्। र॒यिः। ध्रु॒वः। अ॒स्तु॒। दास्वा॑न्॥७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:2» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

श्रेष्ठजन के कर्त्तव्य के विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् पुरुष ! (यः) जो (दास्वान्) देनेवाला (ते) आपके लिये (अन्नियते) भोजन करनेवालों के निश्चित समय में (अन्नम्) भोजन के पदार्थ को (निशिषत्) अत्यन्त विशेष करता हुआ (मन्द्रम्) आनन्द देनेवाले (अतिथिम्) सत्योपदेशक को (उदीरत्) अच्छे प्रकार प्रेरणा देता और (देवयुः) विद्वानों की कामना करता हुआ (इनधते) ईश्वर को धारण करता है, जिसमें उस (दुरोणे) गृह में अन्न को (आ, भरात्) धारण करे (चित्) भी (तस्मिन्) उसमें (ध्रुवः) निश्चल (रयिः) धन (अस्तु) हो उसको आप पोषण करो ॥७॥
Connotation: - जो मनुष्य जिन मनुष्यों का जैसा उपकार करें, उन मनुष्यों को चाहिये कि उनका वैसा उपकार करें ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

आप्तजनकृत्यविषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यो दास्वांस्तेऽन्नियतेऽन्नं निशिषन्मन्द्रमतिथिमुदीरद् देवयुस्सन्निनधते दुरोणेऽन्नमाभराच्चिदपि तस्मिन् ध्रुवो रयिरस्तु तं त्वं भर ॥७॥

Word-Meaning: - (यः) (ते) तुभ्यम् (भरात्) धरेत् (अन्नियते) अदतां नियते निश्चिते समये (चित्) (अन्नम्) (निशिषत्) नितरां विशेषयन् (मन्द्रम्) आनन्दप्रदम् (अतिथिम्) सत्योपदेशकम् (उदीरत्) सन्नुदन् (आ) (देवयुः) देवान् कामयमानः (इनधते) इनमीश्वरं दधाति यस्मिंस्तस्मिन् (दुरोणे) गृहे (तस्मिन्) (रयिः) धनम् (ध्रुवः) निश्चलः (अस्तु) (दास्वान्) दाता ॥७॥
Connotation: - ये मनुष्या येषां यादृशमुपकारं कुर्य्युस्तैस्तेषां तादृश उपकारः कर्त्तव्यः ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जी माणसे ज्या माणसांवर जसा उपकार करतात त्या माणसांनी त्यांच्यावर तसाच उपकार करावा. ॥ ७ ॥