Go To Mantra

अधा॒ यथा॑ नः पि॒तरः॒ परा॑सः प्र॒त्नासो॑ अग्न ऋ॒तमा॑शुषा॒णाः। शुचीद॑य॒न्दीधि॑तिमुक्थ॒शासः॒ क्षामा॑ भि॒न्दन्तो॑ अरु॒णीरप॑ व्रन् ॥१६॥

English Transliteration

adhā yathā naḥ pitaraḥ parāsaḥ pratnāso agna ṛtam āśuṣāṇāḥ | śucīd ayan dīdhitim ukthaśāsaḥ kṣāmā bhindanto aruṇīr apa vran ||

Mantra Audio
Pad Path

अध॑। यथा॑। नः। पि॒तरः॑। परा॑सः। प्रत्नासः॑। अ॒ग्ने॒। ऋ॒तम्। आ॒शु॒षा॒णाः। शुचि॑। इत्। अ॒य॒न्। दीधि॑तिम्। उ॒क्थ॒ऽशसः॑। क्षाम॑। भि॒न्दन्तः॑। अ॒रु॒णीः। अप॑। व्र॒न्॥१६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:2» Mantra:16 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:19» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:16


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के सदृश वर्त्तमान राजन् ! (यथा) जिस प्रकार से (नः) हम लोगों के (परासः) होनेवाले (प्रत्नासः) हुए (पितरः) उत्पन्न करनेवाले पितृ लोग (शुचि) पवित्र, शुद्धि करनेवाले (ऋतम्) सत्य न्याययुक्त व्यवहार को (आशुषाणाः) सब प्रकार बाँटते और (उक्थशासः) प्रशंसित शासनोंवाले (क्षाम) पृथिवी को (भिन्दन्तः) विदारते हुए (दीधितिम्) नीति के प्रकाश को (अयन्) प्राप्त होते हैं (अध) इसके अनन्तर (अरुणीः) प्राप्त प्रजाओं को (अप) (व्रन्) स्वीकार करें, वैसे (इत्) ही आप हम लोगों में वर्त्ताव करो ॥१६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो राजा और राजपुरुष प्रजाओं में पिता के सदृश वर्त्ताव करके सत्य, न्याय का प्रकाश कर और अविद्या को दूर करके प्रजाओं को शिक्षा देते हैं, वे पवित्र गिने जाते हैं ॥१६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! यथा नः परासः प्रत्नासः पितरः शुच्यृतमाशुषाणा उक्थशासः क्षाम भिन्दन्तो दीधितिमयन्। अधाऽरुणीरपव्रँस्तथेदेव त्वमस्मासु वर्त्तस्व ॥१६॥

Word-Meaning: - (अध) आनन्तर्य्ये। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (यथा) येन प्रकारेण (नः) अस्माकम् (पितरः) जनकाः (परासः) भविष्यन्तः (प्रत्नासः) भूताः (अग्ने) पावकवद्वर्त्तमान राजन् (ऋतम्) सत्यं न्याय्यम् (आशुषाणाः) समन्ताद्विभजन्तः (शुचि) पवित्रं शुद्धिकरम् (इत्) एव (अयन्) प्राप्नुवन्ति (दीधितिम्) नीतिप्रकाशम् (उक्थशासः) प्रशंसितशासनाः (क्षाम) पृथिवीम्। क्षामेति पृथिवीनामसु पठितम्। (निघं०१.१) अत्र संहितायामिति दीर्घः। (भिन्दन्तः) विदृणन्तः (अरुणीः) प्राप्ताः प्रजाः (अप) (व्रन्) वृणुयुः ॥१६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यो राजा राजपुरुषाश्च प्रजासु पितृवद्वर्त्तित्वा सत्यं न्यायं प्रकाश्याऽविद्यां निवार्य्य प्रजाः शिक्षन्ते ते पवित्रा गण्यन्ते ॥१६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे राजे व राजपुरुष प्रजेशी पित्याप्रमाणे वर्तन करून सत्य न्यायाचा प्रकाश करतात, अविद्या दूर करून प्रजेला शिक्षण देतात, ते पवित्र समजले जातात. ॥ १६ ॥