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स॒त्रा॒हणं॒ दाधृ॑षिं॒ तुम्र॒मिन्द्रं॑ म॒हाम॑पा॒रं वृ॑ष॒भं सु॒वज्र॑म्। हन्ता॒ यो वृ॒त्रं सनि॑तो॒त वाजं॒ दाता॑ म॒घानि॑ म॒घवा॑ सु॒राधाः॑ ॥८॥

English Transliteration

satrāhaṇaṁ dādhṛṣiṁ tumram indram mahām apāraṁ vṛṣabhaṁ suvajram | hantā yo vṛtraṁ sanitota vājaṁ dātā maghāni maghavā surādhāḥ ||

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Pad Path

स॒त्रा॒ऽहन॑म्। दधृ॑षिम्। तुम्र॑म्। इन्द्र॑म्। म॒हाम्। अ॒पा॒रम्। वृ॒ष॒भम्। सु॒ऽवज्र॑म्। हन्ता॑। यः। वृ॒त्रम्। सनि॑ता। उ॒त। वाज॑म्। दाता॑। म॒घानि॑। म॒घऽवा॑। सु॒ऽराधाः॑ ॥८॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:17» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:22» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब प्रजाजनों से राजा के स्वीकार करने को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (वृत्रम्) मेघ को जैसे सूर्य वैसे शत्रुओं का (हन्ता) नाश करनेवाला पुरुष (वाजम्) अन्न आदि ऐश्वर्य्य का (सनिता) विभाग करनेवाला (उत) भी (मघवा) बहुत धन से युक्त (सुराधाः) धर्मयुक्त व्यवहार से धनसंचयकर्त्ता (मघानि) और धनों का (दाता) दाता हो उस (सत्राहणम्) सत्य से असत्य के नाश करनेवाले (दाधृषिम्) निरन्तर प्रगल्भ (महाम्) महान् (अपारम्) अपार विद्यावान् गम्भीर आशय युक्त (तुम्रम्) प्रेरणा देनेवाले (वृषभम्) बलिष्ठ (सुवज्रम्) सुन्दर शस्त्र और अस्त्रों के प्रयोगकर्त्ता (इन्द्रम्) अत्यन्त ऐश्वर्य्ययुक्त राजा को स्वीकार करो ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो पूर्णविद्यायुक्त, सत्यवादी, प्रगल्भ, बलिष्ठ, शस्त्र और अस्त्रों का चलानेवाला और अभयदाता पुरुष हो उसी को राज्य के लिये नियत करो ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रजाजनै राजस्वीकारमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो वृत्रं सूर्य इव शत्रूणां हन्ता वाजं सनितोत मघवा सुराधा मघानि दाता भवेत्तं सत्राहणं दाधृषिं महामपारं तुम्रं वृषभं सुवज्रमिन्द्रं राजानं स्वीकुरुत ॥८॥

Word-Meaning: - (सत्राहणम्) यः सत्येनाऽसत्यं हन्ति (दाधृषिम्) भृशं प्रगल्भम् (तुम्रम्) प्रेरकम् (इन्द्रम्) परमैश्वर्यवन्तम् (महाम्) महान्तम् (अपारम्) अपारविद्यं गम्भीराशयम् (वृषभम्) बलिष्ठम् (सुवज्रम्) शोभनशस्त्रास्त्राणां प्रयोक्तारम् (हन्ता) (यः) (वृत्रम्) मेघमिव शत्रुम् (सनिता) विभाजकः (उत) अपि (वाजम्) अन्नाद्यैश्वर्यम् (दाता) (मघानि) धनानि (मघवा) बहुधनयुक्तः (सुराधाः) धर्म्येण सञ्चितधनः ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यः पूर्णविद्यः सत्यवादी प्रगल्भो बलिष्ठः शस्त्राऽस्त्रप्रयोगविदभयदाता पुरुषो भवेत्तमेव राज्यायाधिकुरुत ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जो पूर्ण विद्यावान, सत्यवादी, प्रगल्भ, बलवान, शस्त्रास्त्र चालविणारा व अभय देणारा पुरुष असेल, त्यालाच राज्यासाठी नियुक्त करा. ॥ ८ ॥