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त्रा॒ता नो॑ बोधि॒ ददृ॑शान आ॒पिर॑भिख्या॒ता म॑र्डि॒ता सो॒म्याना॑म्। सखा॑ पि॒ता पि॒तृत॑मः पितॄ॒णां कर्ते॑मु लो॒कमु॑श॒ते व॑यो॒धाः ॥१७॥

English Transliteration

trātā no bodhi dadṛśāna āpir abhikhyātā marḍitā somyānām | sakhā pitā pitṛtamaḥ pitṝṇāṁ kartem u lokam uśate vayodhāḥ ||

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Pad Path

त्रा॒ता। नः॒। बो॒धि॒। ददृ॑शानः। आ॒पिः। अ॒भि॒ऽख्या॒ता। म॒र्डि॒ता। सो॒म्याना॑म्। सखा॑।। पि॒ता। पि॒तृऽत॑मः। पि॒तॄ॒णाम्। कर्ता॑। ई॒म्। ऊ॒म् इति॑। लो॒कम्। उ॒श॒ते। व॒यः॒ऽधाः ॥१७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:17» Mantra:17 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:24» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब ईश्वरोपासना विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जो (नः) हम लोगों का वा हम लोगों को (त्राता) रक्षा करने (ददृशानः) उत्तम प्रकार देखने (आपिः) व्याप्त रहने (अभिख्याता) सम्मुख अन्तर्यामीपने से उपदेश देने (मर्डिता) सुख देने और (सखा) मित्र (पिता) संसार का उत्पन्न करनेवाला (सोम्यानाम्) चन्द्रमा के तुल्य शान्ति आदि गुणों से युक्त (पितॄणाम्) उत्पन्न वा पालन करनेवालों का (पितृतमः) अत्यन्त पालन करनेवाला (कर्त्ता) कर्त्तापुरुष (लोकम्) लोक की (उशते) कामना करते हुए के लिये (ईम्) सब को (उ) ही (वयोधाः) जीवन वा सुन्दर वस्तु का धारण करनेवाला जगदीश्वर है, ऐसा उसको (बोधि) जानो ॥१७॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो जगदीश्वर मित्र के तुल्य सब का सुखकर्त्ता, सत्य का उपदेश देनेवाला, उत्पन्न करनेवालों का उत्पन्नकर्त्ता, पालन करनेवालों का पालनकर्त्ता, सब कर्म्मों का देखनेवाला, न्यायाधीश, अन्तर्य्यामी अभिव्याप्त है, उसी को जानकर उपासना करो ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेश्वरोपासनाविषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यो नस्त्राता ददृशान आपिरभिख्याता मर्डिता सखा पिता सोम्यानां पितॄणां पितृतमः कर्त्ता लोकमुशत ईमु वयोधा जगदीश्वरोऽस्ति तं बोधि ॥१७॥

Word-Meaning: - (त्राता) रक्षकः (नः) अस्माकमस्मान् वा (बोधि) बुध्यस्व (ददृशानः) सम्प्रेक्षकः (आपिः) व्याप्तः (अभिख्याता) आभिमुख्येनान्तर्यामितयोपदेष्टा (मर्डिता) सुखयिता (सोम्यानाम्) सोमवच्छान्त्यादिगुणयुक्तानाम् (सखा) सुहृत् (पिता) जगतो जनकः (पितृतमः) अतिशयेन पालकः (पितॄणाम्) जनकानां पालकानाम् (कर्त्ता) (ईम्) सर्वम् (उ) (लोकम्) (उशते) कामयमानाय (वयोधाः) यो वयो जीवनं कमनीयं वस्तु दधाति सः ॥१७॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यो जगदीश्वरो मित्रवत्सर्वेषां सुखकरस्सत्योपदेष्टा जनकानां जनकः पालकानां पालकः सर्वेषां कर्मणां द्रष्टा न्यायाधीशोऽन्तर्याम्यभिव्याप्तोऽस्ति तमेव विज्ञायोपाध्वम् ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो जगदीश्वर मित्राप्रमाणे सर्वांचा सुखकर्ता, सत्याचा उपदेष्टा, जनकांचा जनक, पालकांचा पालनकर्ता, सर्व कर्मांचा द्रष्टा, न्यायाधीश, अन्तर्यामी अभिव्याप्त आहे, त्याला जाणून त्याची उपासना करा. ॥ १७ ॥