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भुवो॑ऽवि॒ता वा॒मदे॑वस्य धी॒नां भुवः॒ सखा॑वृ॒को वाज॑सातौ। त्वामनु॒ प्रम॑ति॒मा ज॑गन्मोरु॒शंसो॑ जरि॒त्रे वि॒श्वध॑ स्याः ॥१८॥

English Transliteration

bhuvo vitā vāmadevasya dhīnām bhuvaḥ sakhāvṛko vājasātau | tvām anu pramatim ā jaganmoruśaṁso jaritre viśvadha syāḥ ||

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Pad Path

भुवः॑। अ॒वि॒ता। वा॒मऽदे॑वस्य। धी॒नाम्। भुवः॑। सखा॑। अ॒वृ॒कः। वाज॑ऽसातौ। त्वाम्। अनु॑। प्रऽम॑तिम्। आ। ज॒ग॒न्म॒। उ॒रु॒ऽशंसः॑। ज॒रि॒त्रे। वि॒श्वध॑। स्याः॒ ॥१८॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:16» Mantra:18 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:20» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:18


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब कैसे को राजा करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (विश्वध) संसार के धारण करनेवाले राजन् ! आप (वाजसातौ) संग्राम में (वामदेवस्य) उत्तमरूप से युक्त विद्वान् और (धीनाम्) बुद्धियों के (अविता) रक्षा करनेवाले (भुवः) हूजिये (अवृकः) चोरीरहित (सखा) मित्र (भुवः) हूजिये और (उरुशंसः) बहुत प्रशंसायुक्त होते हुए (जरित्रे) स्तुति करने योग्य के लिये सुखदायक (स्याः) हूजिये जिससे (त्वाम्) आपके (अनु) पश्चात् (प्रमतिम्) उत्तम बुद्धि को (आ, जगन्म) प्राप्त होवें ॥१८॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो सब का स्वामी और वीरपुरुष युद्ध में चतुर उपदेश देनेवाले और बुद्धिमानों का रक्षक होवे, उसी को राजा करो ॥१८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ कीदृशं राजानं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे विश्वध राजंस्त्वं वाजसातौ वामदेवस्य धीनामविता भुवोऽवृकः सखा भुव उरुशंसो जरित्रे सुखदः स्या यतस्त्वामनु प्रमतिमाजगन्म ॥१८॥

Word-Meaning: - (भुवः) भव (अविता) (वामदेवस्य) सुरूपयुक्तस्य विदुषः (धीनाम्) प्रज्ञानाम् (भुवः) भव (सखा) सुहृत् (अवृकः) अस्तेनः (वाजसातौ) सङ्ग्रामे (त्वाम्) (अनु) (प्रमतिम्) प्रकृष्टां प्रज्ञाम् (आ) (जगन्म) (उरुशंसः) बहुप्रशंसः (जरित्रे) स्तुत्याय (विश्वध) यो विश्वं दधाति तत्सम्बुद्धौ (स्याः) भवेत् ॥१८॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यः सर्वाधीशो वीराणां युद्धकुशलानामुपदेशकानां प्रज्ञानां रक्षको भवेत् तमेव राजानं कुरुत ॥१८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जो सर्वाधीश, वीर पुरुष, युद्धात चतुर, उपदेशक व बुद्धिमानांचा रक्षक असेल त्यालाच राजा करा. ॥ १८ ॥