Go To Mantra

त्वद्वा॒जी वा॑जंभ॒रो विहा॑या अभिष्टि॒कृज्जा॑यते स॒त्यशु॑ष्मः। त्वद्र॒यिर्दे॒वजू॑तो मयो॒भुस्त्वदा॒शुर्जू॑जु॒वाँ अ॑ग्ने॒ अर्वा॑ ॥४॥

English Transliteration

tvad vājī vājambharo vihāyā abhiṣṭikṛj jāyate satyaśuṣmaḥ | tvad rayir devajūto mayobhus tvad āśur jūjuvām̐ agne arvā ||

Mantra Audio
Pad Path

त्वत्। वा॒जी। वा॒ज॒म्ऽभ॒रः। विऽहा॑याः। अ॒भि॒ष्टि॒ऽकृत्। जा॒य॒ते॒। स॒त्यऽशु॑ष्मः। त्वत्। र॒यिः। दे॒वऽजू॑तः। म॒यः॒ऽभुः। त्वत्। आ॒शुः। जू॒जु॒ऽवान्। अ॒ग्ने॒। अर्वा॑ ॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:11» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अग्निसम्बन्ध से विद्वानों के गुणों को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! जो (त्वत्) आपके समीप से प्रेरणा किया गया (विहायाः) जिससे वह बड़ा और शीघ्र जाता है इससे (वाजंभरः) प्राप्त हुए बहुत भार को धारण करनेवाला (सत्यशुष्मः) सत्यबलयुक्त (अभिष्टिकृत्) अपेक्षितकर्म का कर्त्ता (वाजी) वेगवान् और (जायते) होता है वा जो (त्वत्) आपके समीप से (रयिः) धन (देवजूतः) विद्वानों ने जाना और चलाया हुआ (मयोभुः) सुख की भावना करानेवाला वा जो (त्वत्) आपके समीप से (जूजुवान्) शीघ्र प्राप्त कराने और (अर्वा) शीघ्र जानेवाला (आशुः) शीघ्रगामी (जायते) होता है, वह हम लोगों को भी उत्पन्न करने योग्य है ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो आप लोगों के पुरुषार्थ से बिजुली आदि स्वरूप अग्निविद्या से प्रसिद्ध होवे तो बहुत भारवाले वाहन का पहुँचानेवाला सुख का हेतु और धन उत्पन्न कराने वा शीघ्र ले चलनेवाला होवे ॥४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निसम्बन्धेन विद्वद्गुणानाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! यस्त्वत्प्रेरितो विहाया वाजंभरः सत्यशुष्मोऽभिष्टिकृद् वाजी जायते यस्त्वद्रयिर्देवजूतो मयोभुर्यस्त्वज्जूजुवानर्वाऽऽशुर्जायते सोऽस्माभिरप्युत्पादनीयः ॥४॥

Word-Meaning: - (त्वत्) तव सकाशात् (वाजी) वेगवान् (वाजंभरः) प्राप्तं बहुभारं धरति सः (विहायाः) विजिहीते सद्यो गच्छति येन सः (अभिष्टिकृत्) योऽभिष्टिं करोति सः (जायते) (सत्यशुष्मः) सत्यं शुष्मं बलं यस्मिन्त्सः (त्वत्) (रयिः) धनम् (देवजूतः) देवैर्विदितश्चलितः (मयोभुः) सुखम्भावुकः (त्वत्) (आशुः) शीघ्रं गन्ता (जूजुवान्) भृशं गमयिता (अग्ने) विद्वन् (अर्वा) यः सद्य ऋच्छति गच्छति सः ॥४॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यदि युष्माकं पुरुषार्थाद्विद्युदादिस्वरूपोऽग्निर्विद्यया प्रसिद्धो भवेत्तर्हि बहुभारयानहर्त्ता सुखहेतुर्धनजनकः सद्यो गमयिता जायेत ॥४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! तुमच्या पुरुषार्थाने विद्युत इत्यादी स्वरूप अग्निविद्येद्वारे प्रकट व्हावे. ते पुष्कळ भारयुक्त वाहन पोचविणारे, सुखाचा हेतू व धन उत्पन्न करविणारे किंवा शीघ्र घेऊन जाणारे असावे. ॥ ४ ॥