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कृ॒तं चि॒द्धि ष्मा॒ सने॑मि॒ द्वेषोऽग्न॑ इ॒नोषि॒ मर्ता॑त्। इ॒त्था यज॑मानादृतावः ॥७॥

English Transliteration

kṛtaṁ cid dhi ṣmā sanemi dveṣo gna inoṣi martāt | itthā yajamānād ṛtāvaḥ ||

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Pad Path

कृतम्। चि॒त्। हि। स्म॒। सने॑मि। द्वेषः॑। अग्ने॑। इ॒नोषि॑। मर्ता॑त्। इ॒त्था। यज॑मानात्। ऋ॒त॒ऽवः॒॥७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:10» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:10» Mantra:7 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (ऋतावः) सत्य से युक्त (अग्ने) अग्नि के सदृश वर्त्तमान ! जो आप (हि) ही (चित्) निश्चित (द्वेषः) द्वेष करनेवाले (मर्त्तात्) मनुष्य से वा (इत्था) इस प्रकार (यजमानात्) धर्म से सङ्ग किये हुए जन से (सनेमि) अनादि सिद्ध और (कृतम्) उत्पन्न किये गये को (इनोषि) विशेषता से प्राप्त होते हैं (स्म) वही राज्य करने योग्य हैं ॥७॥
Connotation: - हे राजा आदि मनुष्यो ! आप लोग शत्रु और मित्रों से उत्तम गुणों को ग्रहण करके सुखों को प्राप्त होइये ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजविषयमाह ॥

Anvay:

हे ऋतावोऽग्ने ! यस्त्वं हि चिद् द्वेषो मर्त्तादित्था यजमानाद्वा सनेमि कृतमिनोषि स स्म एव राज्यं कर्त्तुमर्हसि ॥७॥

Word-Meaning: - (कृतम्) निष्पादितम् (चित्) अपि (हि) (स्म) एव (सनेमि) सनातनम् (द्वेषः) द्वेष्टुः (अग्ने) (इनोषि) व्याप्नोषि (मर्तात्) मनुष्यात् (इत्था) अनेन प्रकारेण (यजमानात्) धर्म्येण सङ्गतात् (ऋतावः) ऋतं सत्यं विद्यते यस्मिंस्तत्सम्बुद्धौ ॥७॥
Connotation: - हे राजादयो मनुष्या भवन्तः शत्रुभ्यो मित्रेभ्यश्च शुभान् गुणान् गृहीत्वा सुखानि प्राप्नुवन्तु ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा इत्यादींनो ! तुम्ही शत्रू व मित्रांकडून उत्तम गुण ग्रहण करून सुख प्राप्त करा. ॥ ७ ॥