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आ॒भिष्टे॑ अ॒द्य गी॒र्भिर्गृ॒णन्तोऽग्ने॒ दाशे॑म। प्र ते॑ दि॒वो न स्त॑नयन्ति॒ शुष्माः॑ ॥४॥

English Transliteration

ābhiṣ ṭe adya gīrbhir gṛṇanto gne dāśema | pra te divo na stanayanti śuṣmāḥ ||

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Pad Path

आ॒भिः। ते॒। अ॒द्य। गीः॒ऽभिः। गृ॒णन्तः॑। अग्ने॑। दाशे॑म। प्र। ते॒। दि॒वः। न। स्त॒न॒य॒न्ति॒। शुष्माः॑॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:10» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:10» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अमात्यविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) बिजुली के सदृश वर्त्तमान राजन् ! हम लोग (अद्य) आज शीघ्र (आभिः) इन (गीर्भिः) बुद्धि आदि की बढ़ानेवाली वाणियों से (ते) आपके लिये (गृणन्तः) स्तुति करते हुए कर धन (दाशेम) देवें जिन (ते) आपके लिये (दिवः) बिजुली के (न) सदृश (शुष्माः) बलपराक्रमयुक्त जन (प्र, स्तनयन्ति) शब्द करते हैं, उन आपके लिये राज्य देवें ॥४॥
Connotation: - हे राजन् ! जो आप बिजुली के तुल्य मन्त्रियों की रक्षा करके हम लोगों की पालना करें तो हम लोग आपकी प्रजा हुए आज से लेकर आपकी निरन्तर प्रशंसा करें और बहुत धनादि सम्पत्ति देवें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथामात्यविषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने राजन् ! वयमद्याभिर्गीर्भिस्ते गृणन्तः करं दाशेम यस्य ते दिवो न शुष्माः प्र स्तनयन्ति तस्मै तुभ्यं राज्यं दाशेम ॥४॥

Word-Meaning: - (आभिः) (ते) तुभ्यम् (अद्य) (गीर्भिः) प्रज्ञादिवर्धिकाभिर्वाग्भिः (गृणन्तः) स्तुवन्तः (अग्ने) विद्युदिव वर्त्तमान (दाशेम) दद्याम (प्र) (ते) तुभ्यम् (दिवः) विद्युतः (न) इव (स्तनयन्ति) ध्वनयन्ति (शुष्माः) बलपराक्रमयुक्ताः ॥४॥
Connotation: - हे राजन् ! यदि भवान् विद्युत्तुल्यानमात्यान् रक्षित्वाऽस्मान् पालयेत् तर्हि वयं तव प्रजाः सन्तस्त्वामद्यारभ्य सततं प्रशंसेम पुष्कलमैश्वर्यं दद्याम ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! तू विद्युतप्रमाणे मंत्र्यांचे रक्षण करून आमचे पालन कर. तेव्हा आम्ही तुझी प्रजा आजपासून तुझी निरंतर प्रशंसा करतो व पुष्कळ धन इत्यादी संपत्ती देतो. ॥ ४ ॥