Go To Mantra

जा॒तो जा॑यते सुदिन॒त्वे अह्नां॑ सम॒र्य आ वि॒दथे॒ वर्ध॑मानः। पु॒नन्ति॒ धीरा॑ अ॒पसो॑ मनी॒षा दे॑व॒या विप्र॒ उदि॑यर्ति॒ वाच॑म्॥

English Transliteration

jāto jāyate sudinatve ahnāṁ samarya ā vidathe vardhamānaḥ | punanti dhīrā apaso manīṣā devayā vipra ud iyarti vācam ||

Mantra Audio
Pad Path

जा॒तः। जा॒य॒ते॒। सु॒दि॒न॒ऽत्वे। अह्ना॑म्। स॒ऽम॒र्ये। आ। वि॒दथे॑। वर्ध॑मानः। पु॒नन्ति॑। धीराः॑। अ॒पसः॑। म॒नी॒षा। दे॒व॒ऽयाः। विप्रः॑। उत्। इ॒य॒र्ति॒। वाच॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:8» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (समर्ये) युद्ध में शूरवीर पुरुष के समान (अह्नाम्) दिनों के (सुदिनत्वे) सुन्दर दिनों के होने में (विदथे) विज्ञान सम्बन्धी व्यवहार में (जातः) प्रसिद्ध (वर्द्धमानः) बढ़ता हुआ (जायते) उत्पन्न होता है। जो (मनीषा) बुद्धि से (अपसः) कर्मों को करता हुआ (देवयाः) विद्वानों का पूजन करनेवाला नियतात्मा (विप्रः) समस्त विद्याओं से युक्त बुद्धिमान् जन (वाचम्) शुद्ध वाणी को (उत्, इयर्त्ति) प्राप्त होता है उसको (धीराः) बुद्धिमान् जन (आ, पुनन्ति) अच्छे प्रकार पवित्र करते हैं ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। उन्हीं का सुदिन होता है, जो विद्या और उत्तम शिक्षा का संग्रह कर विद्वान् होते हैं। जैसे शूरवीर पुरुष दुष्टों को जीत के धनादि ऐश्वर्य के साथ सब ओर से बढ़ते हैं, वैसे ही विद्या से विद्वान् बढ़ते हैं ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

यः समर्ये शूरवीर इवाह्नां सुदिनत्वे विदथे जातो वर्द्धमानो जायते यो मनीषा अपसः कुर्वन् देवया युक्तो विप्रो वाचमुदियर्त्ति तं धीरा आ पुनन्ति ॥५॥

Word-Meaning: - (जातः) उत्पन्नः प्रसिद्धः (जायते) उत्पद्यते (सुदिनत्वे) शोभनानां दिनानां भावे (अह्नाम्) दिवसानाम् (समर्य्ये) संग्रामे। समर्य्य इति सङ्ग्रामना०। निघं०२। १७। (आ) समन्तात् (विदथे) विज्ञानमये व्यवहारे (वर्धमानः) (पुनन्ति) पवित्रीकुर्वन्ति (धीराः) मेधाविनो ध्यानवन्तः (अपसः) कर्माणि (मनीषा) प्रज्ञया (देवयाः) देवान् विदुषो यजमानः पूजयन् (विप्रः) सकलविद्यायुक्तो मेधावी (उत्) (इयर्त्ति) प्राप्नोति (वाचम्) शुद्धां वाणीम् ॥५॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। तेषामेव सुदिनं भवति ये विद्यासुशिक्षे संगृह्य विद्वांसो जायन्ते यथा शूरवीरा दुष्टान् विजित्य धनाद्यैश्वर्येण सर्वतो वर्धन्ते तथैव विद्यया विद्वान् वर्धते ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे विद्या व उत्तम शिक्षण संगृहित करून विद्वान बनतात, त्यांचे दिवस चांगले जातात. जसे शूरवीर दुष्टांना जिंकून धन वगैरे ऐश्वर्याबरोबर सगळीकडून वाढतात, तसेच विद्येने विद्वान वाढतात. ॥ ५ ॥