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याभिः॒ शची॑भिश्चम॒साँ अपिं॑शत॒ यया॑ धि॒या गामरि॑णीत॒ चर्म॑णः। येन॒ हरी॒ मन॑सा नि॒रत॑क्षत॒ तेन॑ देव॒त्वमृ॑भवः॒ समा॑नश॥

English Transliteration

yābhiḥ śacībhiś camasām̐ apiṁśata yayā dhiyā gām ariṇīta carmaṇaḥ | yena harī manasā niratakṣata tena devatvam ṛbhavaḥ sam ānaśa ||

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Pad Path

याभिः॑। शची॑भिः। च॒म॒साम्। अपिं॑शत। यया॑। धि॒या। गाम्। अरि॑णीत। चर्म॑णः। येन॑। हरी॒ इति॑। मन॑सा। निः॒ऽअत॑क्षत। तेन॑। दे॒व॒ऽत्वम्। ऋ॒भ॒वः॒। सम्। आ॒नश॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:60» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:7» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यों ! (ऋभवः) बुद्धिमान् लोग (याभिः) जिन (शचीभिः) बुद्धियों वा कर्मों से (चमसान्) मेघों को (अपिंशत) अवयवोंवाले करते हैं (यया) जिस (धिया) बुद्धि के साथ (चर्मणः) चर्म की प्राप्ति से (गाम्) धेनु को (अरिणीत) प्राप्त होते हैं (येन) जिस (मनसा) विज्ञान से (हरी) धारण और आकर्षण का (निरतक्षत) निरन्तर विस्तार करते हैं (तेन) उससे आप लोग (देवत्वम्) विद्वान् पने को (सम्, आनश) उत्तम प्रकार व्याप्त होओ ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे बुद्धिमान् लोग यहाँ वर्त्ताव करें, वैसा ही वर्त्ताव करके विद्वान् होओ ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या ऋभवो याभिः शचीभिश्चमसानपिंशत यया धिया चर्मणो गामरिणीत येन मनसा हरी निरतक्षत तेन यूयं देवत्वं समानश ॥२॥

Word-Meaning: - (याभिः) (शचीभिः) प्रज्ञाभिः कर्मभिर्वा (चमसान्) मेघान् (अपिंशत) अवयवयन्ति। अत्र बहुलं छन्दसीति शब्विकरणोऽपि (यया) (धिया) प्रज्ञया (गाम्) धेनुम् (अरिणीत) प्राप्नुवन्ति (चर्मणः) चर्मप्राप्तेः (येनं) (हरी) धारणकर्षणौ (मनसा) विज्ञानेन (निरतक्षत) नितरां विस्तृणन्ति (तेन) (देवत्वम्) विद्वत्वम् (ऋभवः) मेधाविनः (सम्) (आनश) सम्यग्व्याप्नुत ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या यथा मेधाविनोऽत्र वर्त्तेयुस्तथैव वर्त्तित्वा विद्वांसो भवत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जसे बुद्धिमान लोक वर्तन करतात तसेच वर्तन करून विद्वान व्हा. ॥ २ ॥