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यद॒न्यासु॑ वृष॒भो रोर॑वीति॒ सो अ॒न्यस्मि॑न्यू॒थे नि द॑धाति॒ रेतः॑। स हि क्षपा॑वा॒न्त्स भगः॒ स राजा॑ म॒हद्दे॒वाना॑मसुर॒त्वमेक॑म्॥

English Transliteration

yad anyāsu vṛṣabho roravīti so anyasmin yūthe ni dadhāti retaḥ | sa hi kṣapāvān sa bhagaḥ sa rājā mahad devānām asuratvam ekam ||

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Pad Path

यत्। अ॒न्यासु॑। वृ॒ष॒भः। रोर॑वीति। सः। अ॒न्यस्मि॑न्। यू॒थे। नि। द॒धा॒ति॒। रेतः॑। सः। हि। क्षपा॑ऽवान्। सः। भगः॑। सः। राजा॑। म॒हत्। दे॒वाना॑म्। अ॒सु॒र॒ऽत्वम्। एक॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:55» Mantra:17 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:31» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Word-Meaning: - (यत्) जो (वृषभः) बलयुक्त सूर्य्य (अन्यासु) रात्रि और प्रातःकालों में (रोरवीति) अत्यन्त शब्द करता है (सः) वह (अन्यस्मिन्) अन्य (यूथे) समूह में चन्द्र आदिकों में (रेतः) पराक्रम का (निदधाति) स्थापन करता है। (हि) जिससे कि (सः) वह (क्षपावान्) रात्रिवान् अर्थात् रात्रि जिसकी सम्बन्धिनी होती और (सः) वह (भगः) ऐश्वर्य्यों का दाता सूर्य्य तथा (सः) वह (राजा) प्रकाशमान होता (देवानाम्) विद्वानों में (महत्) बड़ा (एकम्) एक यह (असुरत्वम्) दोषों के दूर करनेवाला प्राप्त होने योग्य गुण होता है ॥१७॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो सूर्य्य रात्रि के अन्त और दिन के आदि में सब प्राणियों को निरन्तर जगाय के शब्द कराय और व्यवहार कराय के लक्ष्मियों को प्राप्त कराता है और रात्रि में चन्द्र आदिकों में किरणों को रख के प्रकाश कराता सो यह प्रकाशमान जगदीश्वर से उत्पन्न किया गया, ऐसा जानना चाहिये ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Anvay:

यद्यो वृषभः सूर्य्योऽन्यासु रात्रिषूषःसु च रोरवीति सोऽन्यस्मिन् यूथे चन्द्रादिषु रेतो निदधाति हि यतस्स क्षपावान्त्स भगस्स राजा देवानां महदेकमसुरत्वं प्राप्यं भवति ॥१७॥

Word-Meaning: - (यत्) यः (अन्यासु) रात्रिषूषःसु च (वृषभः) बलिष्ठः (रोरवीति) भृशं शब्दयति (सः) (अन्यस्मिन्) (यूथे) समूहे (नि) (दधाति) (रेतः) (वीर्य्यम्) (सः) (हि) यतः (क्षपावान्) क्षपा रात्रिः सम्बन्धिनी यस्य स चन्द्रः (सः) (भगः) ऐश्वर्य्यप्रदः सूर्य्यः (सः) (राजा) प्रकाशमानः (महत्) (देवानाम्) (असुरत्वम्) (एकम्) ॥१७॥
Connotation: - हे मनुष्या यः सूर्य्यो रात्र्यन्ते दिनादौ सर्वान् प्राणिनो जजागरित्वा संशब्द्य व्यवहार्य्य श्रीः प्रापयति रात्रौ च चन्द्रादिषु किरणान् प्रक्षिप्य प्रकाशयति सोऽयं प्रकाशमानो जगदीश्वरेणोत्पदित इति वेद्यम् ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो सूर्य रात्रीचा अंत झाल्यावर दिवसाच्या सुरुवातीला सर्व प्राण्यांना निरंतर जागे करून शब्दाद्वारे व व्यवहाराद्वारे लक्ष्मी प्राप्त करवितो व रात्री चंद्र इत्यादीच्या किरणांद्वारे प्रकाश करवितो. हा प्रकाश जगदीश्वराने उत्पन्न केलेला आहे, हे जाणले पाहिजे. ॥ १७ ॥