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अ॒न्यस्या॑ व॒त्सं रि॑ह॒ती मि॑माय॒ कया॑ भु॒वा नि द॑धे धे॒नुरूधः॑। ऋ॒तस्य॒ सा पय॑सापिन्व॒तेळा॑ म॒हद्दे॒वाना॑मसुर॒त्वमेक॑म्॥

English Transliteration

anyasyā vatsaṁ rihatī mimāya kayā bhuvā ni dadhe dhenur ūdhaḥ | ṛtasya sā payasāpinvateḻā mahad devānām asuratvam ekam ||

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Pad Path

अ॒न्यस्याः॑। व॒त्सम्। रि॒ह॒ती। मि॒मा॒य॒। कया॑। भु॒वा। नि। द॒धे॒। धे॒नुः। ऊधः॑। ऋ॒तस्य॑। सा। पय॑सा। अ॒पि॒न्व॒त॒। इळा॑। म॒हत्। दे॒वाना॑म्। अ॒सु॒र॒ऽत्वम्। एक॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:55» Mantra:13 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:30» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (देवानाम्) उत्तम पृथिवी आदिकों के मध्य में जो (महत्) बड़ा (एकम्) द्वितीयरहित (असुरत्वम्) दोषों को दूर करनेवाला वर्त्तमान है उससे युक्त (धेनुः) गौ के सदृश वर्त्तमान रात्रि और (ऊधः) प्रातःकाल (अन्यस्याः) दोनों के मध्य में एक किसी के (वत्सम्) बछड़े के सदृश पालन करने योग्य को (रिहति) नाश करती हुई (कया) किस (भुवा) पृथिवी के साथ (मिमाय) नापती है जो (नि, दधे) धारण करती है (सा) वह (ऋतस्य) सत्य के (पयसा) दुग्ध के सदृश जल के साथ (इळा) पृथिवी (अपिन्वत) सींचती वा सेवन करती है ॥१३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो परमात्मा रात्रि और दिन से पृथिवी में वर्त्तमान पदार्थों को शयन और जागरण प्रयोजन जिनका उन प्रकाश और अन्धकार और वृष्टि से गौ के सदृश रक्षा करता है, उसही की पूजा करो ॥१३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Anvay:

हे मनुष्या देवानां मध्ये यन्महदेकमसुरत्वं वर्त्तते तेन नियुक्ता धेनुरिव रात्रिरूधश्चाऽन्यस्या वत्सं रिहती कया भुवा सह मिमाय या निदधे सर्त्तस्य पयसा सहेळापिन्वत ॥१३॥

Word-Meaning: - (अन्यस्याः) द्वयोर्मध्य एकतरस्याः (वत्सम्) वत्सवत्पालनीयम् (रिहती) घ्नन्ती (मिमाय) मिमीते (कया) (भुवा) पृथिव्या (नि) (दधे) निदधाति (धेनुः) गोवद्वर्त्तमाना (ऊधः) उषा (ऋतस्य) सत्यस्य (सा) (पयसा) दुग्धेनेव जलेन (अपिन्वत) सिञ्चति सेवते वा (इळा) पृथिवी। इळेति पृथिवीना०। निघं० १। १। (महत्) (देवानाम्) दिव्यानां पृथिव्यादीनाम् (असुरत्वम्) (एकम्) ॥१३॥
Connotation: - हे मनुष्या यः परमात्मा रात्रिदिनाभ्यां पृथिवीस्थान् पदार्थाञ् शयनजागरणार्थाभ्यां प्रकाशाऽन्धकाराभ्यां वृष्ट्या च धेनुवद्रक्षति तमेवार्चत ॥१३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो परमात्मा रात्र व दिवस यांच्या साहाय्याने पृथ्वीवरील पदार्थांचे शयन, जागरण, प्रकाश व अंधकार आणि वृष्टी याद्वारे गौप्रमाणे रक्षण करतो त्याचीच पूजा करा. ॥ १३ ॥