Go To Mantra

अपाः॒ सोम॒मस्त॑मिन्द्र॒ प्र या॑हि कल्या॒णीर्जा॒या सु॒रणं॑ गृ॒हे ते॑। यत्रा॒ रथ॑स्य बृह॒तो नि॒धानं॑ वि॒मोच॑नं वा॒जिनो॒ दक्षि॑णावत्॥

English Transliteration

apāḥ somam astam indra pra yāhi kalyāṇīr jāyā suraṇaṁ gṛhe te | yatrā rathasya bṛhato nidhānaṁ vimocanaṁ vājino dakṣiṇāvat ||

Mantra Audio
Pad Path

अपाः॑। सोम॑म्। अस्त॑म्। इ॒न्द्र॒। प्र। या॒हि॒। क॒ल्या॒णीः। जा॒या। सु॒ऽरण॑म्। गृ॒हे। ते॒। यत्र॑। रथ॑स्य। बृ॒ह॒तः। नि॒ऽधान॑म्। वि॒ऽमोच॑नम्। वा॒जिनः॑। दक्षि॑णाऽवत्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:53» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:20» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राजा के विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) ऐश्वर्य से युक्त स्वामिन् ! (यत्र) जिसमें (बृहतः) बड़े (रथस्य) विमान आदि वाहन के (वाजिनः) अग्नि आदि पदार्थ के (निधानम्) स्थापन और (विमोचनम्) अलग करने को (दक्षिणावत्) दक्षिणाओं के तुल्य करें और वहाँ स्थित होकर जो आपके (गृहे) गृह में (जाया) स्त्री वर्त्तमान है उसके साथ उस वाहन के ऊपर विराज कर (अस्तम्) गृह को (प्र, याहि) आइये (सोमम्) सम्पूर्ण रोगों के नाश करनेवाले महौषधि के रस का (अपाः) पान करिये और पीकर (सुरणम्) श्रेष्ठ संग्राम जिससे उसको प्राप्त होइये ॥६॥
Connotation: - राजा आदि विमान आदि वाहनों का निर्माण कर और उसमें कलायन्त्रों को रच के तथा अग्नि आदि पदार्थों को स्थित तथा अलग करके अपनी स्त्रियों के सहित गृह में आवें और देशान्तर को जावें, जो स्त्री शूरवीरा हो तो उसके साथ संग्राम के विजय के लिये जावें ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजविषयमाह।

Anvay:

हे इन्द्र ! यत्र बृहतो रथस्य वाजिनो निधानं विमोचनं दक्षिणावत् कार्यं तत्र स्थित्वा या ते गृहे कल्याणीर्जाया वर्त्तते तया सह तत्र रथे स्थित्वाऽस्तं प्र याहि सोममपाः पीत्वा च सुरणं गच्छ ॥६॥

Word-Meaning: - (अपाः) पिब (सोमम्) सर्वरोगनाशकं महौषधिरसम् (अस्तम्) गृहम् (इन्द्र) ऐश्वर्य्ययुक्त स्वामिन् (प्र) (याहि) गच्छ (कल्याणीः)। अत्र सुपां सुलुगिति सुरादेशः। (जाया) जायन्ते यस्या अपत्यानि सा (सुरणम्) सुष्ठु रणः संग्रामो यस्मात्तत् (गृहे) (ते) तव (यत्र) यस्मिन् (रथस्य) विमानादेर्यानस्य (बृहतः) महतः (निधानम्) स्थापनम् (विमोचनम्) पृथक्करणम् (वाजिनः) अग्न्यादेः पदार्थस्य (दक्षिणावत्) दक्षिणाभिस्तुल्यम् ॥६॥
Connotation: - राजादयो विमानादीनि यानानि निर्माय तत्र कलायन्त्राणि रचयित्वाऽग्न्यादीन् संस्थाप्य विमोच्य सपत्नीका गृहमागच्छेयुर्द्देशान्तरं च गच्छेयुः यदि पत्नी शूरवीरा स्यात्तर्हि तया सह सङ्ग्रामविजयाय गच्छेयुः ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - राजा इत्यादींनी विमान वगैरे वाहने निर्माण करावीत. त्यात कलायंत्रे बसवावीत. त्यात अग्नी इत्यादी पदार्थ स्थित व पृथक करावेत. आपल्या स्त्रियांबरोबर घरी यावे व देशान्तरी जावे. शूरवीरा स्त्रीबरोबर युद्धात विजयप्राप्तीसाठी जावे. ॥ ६ ॥