Go To Mantra

तुभ्यं॒ ब्रह्मा॑णि॒ गिर॑ इन्द्र॒ तुभ्यं॑ स॒त्रा द॑धिरे हरिवो जु॒षस्व॑। बो॒ध्या॒३॒॑पिरव॑सो॒ नूत॑नस्य॒ सखे॑ वसो जरि॒तृभ्यो॒ वयो॑ धाः॥

English Transliteration

tubhyam brahmāṇi gira indra tubhyaṁ satrā dadhire harivo juṣasva | bodhy āpir avaso nūtanasya sakhe vaso jaritṛbhyo vayo dhāḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

तुभ्य॑म्। ब्रह्मा॑णि। गिरः॑। इ॒न्द्र॒। तुभ्य॑म्। स॒त्रा। द॒धि॒रे॒। ह॒रि॒ऽवः॒। जु॒षस्व॑। बो॒धि। आ॒पिः। अव॑सः। नूत॑नस्य। सखे॑। व॒सो॒ इति॑। ज॒रि॒तृऽभ्यः॑। वयः॑। धाः॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:51» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:16» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) ऐश्वर्य्य के धारणकर्त्ता ! जो (गिरः) वाणियाँ (तुभ्यम्) आपके लिये (ब्रह्माणि) धनों को और हे (हरिवः) उत्तम घोड़े आदि से युक्त जो वाणियाँ (तुभ्यम्) आपके लिये (सत्रा) सत्य को (दधिरे) धारण करें उनका आप (जुषस्व) सेवन करो। हे (सखे) मित्र ! (नूतनस्य) नवीन (अवसः) रक्षणादि के (आपिः) व्याप्त हुए आप उनको (बोधि) जानिये हे (वसो) धन को प्राप्त आप (जरितृभ्यः) स्तुतिकर्त्ता विद्वानों के लिये (वयः) जीवन को (धाः) धारण कीजिये ॥६॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि ऐसी वाणी ग्रहण करें और सुनें कि जिससे धनसंग्रह होता है, सत्य की रक्षा की जाती और जीवन बढ़ता है ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे इन्द्र या गिरस्तुभ्यं ब्रह्माणि, हे हरिवो या वाचस्तुभ्यं सत्रा दधिरे तास्त्वं जुषस्व। हे सखे नूतनस्याऽवस आपिस्सँस्ता बोधि। हे वसो त्वं जरितृभ्यो वयो धाः ॥६॥

Word-Meaning: - (तुभ्यम्) (ब्रह्माणि) धनानि (गिरः) वाचः (इन्द्र) ऐश्वर्य्यधारक (तुभ्यम्) (सत्रा) सत्यम् (दधिरे) धरेयुः (हरिवः) प्रशस्ताऽश्वादियुक्त (जुषस्व) सेवस्व (बोधि) बुध्यस्व (आपिः) व्याप्तः सन् (अवसः) रक्षणादेः (नूतनस्य) नवीनस्य (सखे) मित्र (वसो) प्राप्तधन (जरितृभ्यः) स्तावकेभ्यो विद्वद्भ्यः (वयः) जीवनम् (धाः) धेहि ॥६॥
Connotation: - मनुष्यैस्तादृशी वाग् ग्राह्या श्राव्या यादृश्या धनं जायते सत्यं रक्ष्यते जीवनं वर्द्ध्यते ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी अशी वाणी ग्रहण करावी व असे ऐकावे की ज्यामुळे धनसंग्रह व्हावा. सत्याचे रक्षण केले जावे व जीवन वाढावे. ॥ ६ ॥