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गोभि॑र्मिमि॒क्षुं द॑धिरे सुपा॒रमिन्द्रं॒ ज्यैष्ठ्या॑य॒ धाय॑से गृणा॒नाः। म॒न्दा॒नः सोमं॑ पपि॒वाँ ऋ॑जीषि॒न्त्सम॒स्मभ्यं॑ पुरु॒धा गा इ॑षण्य॥

English Transliteration

gobhir mimikṣuṁ dadhire supāram indraṁ jyaiṣṭhyāya dhāyase gṛṇānāḥ | mandānaḥ somam papivām̐ ṛjīṣin sam asmabhyam purudhā gā iṣaṇya ||

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Pad Path

गोभिः॑। मि॒मि॒क्षुम्। द॒धि॒रे॒। सु॒ऽपा॒रम्। इन्द्र॑म्। ज्यैष्ठ्या॑य। धाय॑से। गृ॒णा॒नाः। म॒न्दा॒नः। सोम॑म्। प॒पि॒ऽवान्। ऋ॒जी॒षि॒न्। सम्। अ॒स्मभ्य॑म्। पु॒रु॒धा। गाः। इ॒ष॒ण्य॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:50» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:14» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (ऋजीषिन्) नम्रस्वभाव और (गृणानाः) स्तुति करते हुए ! (गोभिः) किरणों से (धायसे) धारण करने को (ज्यैष्ठ्याय) वृद्ध होने के लिये (मिमिक्षुम्) सेचन करने की इच्छा करनेवाले को (सुपारम्) सुख से पार जाने के योग्य (इन्द्रम्) विद्या और ऐश्वर्य्यवान् आपको (दधिरे) धारण करो और जिसने (सोमम्) सोमलता के रस को (पपिवान्) पीया (मन्दानः) आनन्द करते हुए (अस्मभ्यम्) हम लोगों के लिये (इषण्य) प्रेरणा करिये (सोमम्) सोम ओषधि के रस को और (पुरुधा) अनेक प्रकारों से (गाः) पृथिवी आदि को धारण करता है उनका आप और वे आपका सत्कार करें ॥३॥
Connotation: - जैसे सूर्य अपने किरणों से वृष्टि करके सबकी पुष्टि करता है, वैसे ही विद्वान् लोग पढ़ाने और उपदेश से विद्या और सत्य की वृष्टि करके सब मनुष्यों की पुष्टि करें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे ऋजीषिन् ये गृणाना गोभिर्धायसे ज्यैष्ठ्याय मिमिक्षुं सुपारमिन्द्रं त्वा दधिरे यश्च सोमं पपिवान्मन्दानः सन्नस्मभ्यमिषण्य प्रेरय सोमं पुरुधा गाश्च संदधति ताँस्त्वं ते त्वां च सत्कुर्वन्तु ॥३॥

Word-Meaning: - (गोभिः) किरणैः (मिमिक्षुम्) सेक्तुमिच्छुम् (दधिरे) धरन्तु (सुपारम्) सुखेन पारं गन्तुं योग्यम् (इन्द्रम्) विद्यैश्वर्य्यवन्तम् (ज्यैष्ठ्याय) वृद्धस्य भावाय (धायसे) धातुम् (गृणानाः) स्तुवन्तः (मन्दानः) आनन्दन् (सोमम्) (पपिवान्) पीतवान् (ऋजीषिन्) सरलस्वभावः (सम्) (अस्मभ्यम्) (पुरुधा) बहुभिः प्रकारैः (गाः) पृथिव्याद्याः (इषण्य) प्रेरय ॥३॥
Connotation: - यथा सूर्य्यः किरणैर्वृष्टिं कृत्वा सर्वान् पुष्णाति तथैव विद्वांसोऽध्यापनोपदेशाभ्यां विद्यासत्ये वर्षित्वा सर्वान् मनुष्यान् पुष्णन्तु ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा सूर्य आपल्या किरणांनी वृष्टी करून सर्वांची पुष्टी करतो तसेच विद्वान लोकांनी शिकविण्याने व उपदेशाने विद्या व सत्याची वृष्टी करून सर्व माणसांची पुष्टी करावी. ॥ ३ ॥