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प्रत्य॒ग्निरु॒षस॒श्चेकि॑ता॒नोऽबो॑धि॒ विप्रः॑ पद॒वीः क॑वी॒नाम्। पृ॒थु॒पाजा॑ देव॒यद्भिः॒ समि॒द्धोऽप॒ द्वारा॒ तम॑सो॒ वह्नि॑रावः॥

English Transliteration

praty agnir uṣasaś cekitāno bodhi vipraḥ padavīḥ kavīnām | pṛthupājā devayadbhiḥ samiddho pa dvārā tamaso vahnir āvaḥ ||

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Pad Path

प्रति॑। अ॒ग्निः। उ॒षसः॑। चेकि॑तानः। अबो॑धि। विप्रः॑। प॒द॒ऽवीः। क॒वी॒नाम्। पृ॒थु॒ऽपाजाः॑। दे॒व॒यत्ऽभिः॑। समि॑द्धः। अप॑। द्वारा॑। तम॑सः। वह्निः॑। आ॒व॒रित्या॑वः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:5» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब दश ऋचावाले पाँचवें सूक्त का प्रारम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में विद्वानों के संबन्ध से अग्नि के गुणों को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जैसे (अग्निः) अग्नि (उषसः) प्रभात समयों के (प्रति, अबोधि) प्रति जाना जाता है वैसे (चेकितानः) ज्ञान देनेवाला अर्थात् समझानेवाला (कवीनाम्) विद्वानों की (पदवीः) पदवियों को प्राप्त होता (पृथुपाजाः) महान् बलवाला (विप्रः) बुद्धिमान् विद्वान् जन (देवयद्भिः) विद्वानों की कामना करते हुओं के साथ जाना जाता है जैसे (समिद्धः) प्रदीप्त (वह्निः) और पदार्थों की गति करानेवाला अग्नि (तमसः) अन्धकार से ढपे हुए (द्वारा) द्वारों को (अप, आवः) खोलता है, वैसे विद्वान् हो ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे अग्नि प्रातःकाल में सब प्राणियों को जगाता और अन्धकार को निवृत्त करता है, वैसे विद्वान् जन अविद्या में सोते हुए मनुष्यों को जगाते हैं और इनके आत्माओं को अज्ञान के आवरण से अलग करते हैं ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वत्संबन्धेनाग्निगुणानाह।

Anvay:

हे विद्वन् यथाऽग्निरुषसः प्रत्यबोधि तथा चेकितानः कवीनां पदवीः पृथुपाजा विप्रो देवयद्भिः सह प्रत्यबोधि। यथा समिद्धो वह्निस्तमस आवृतानि द्वारापावस्तथा विद्वान्भवेत् ॥१॥

Word-Meaning: - (प्रति) (अग्निः) (उषसः) प्रभातान् (चेकितानः) ज्ञापकः (अबोधि) (विप्रः) मेधावी (पदवीः) यः प्राप्तव्यानि पदानि व्येति व्याप्नोति सः (कवीनाम्) विदुषाम् (पृथुपाजाः) बृहद्बलः (देवयद्भिः) देवान् कामयद्भिः (समिद्धः) प्रदीप्तः (अप) (द्वारा) द्वाराणि (तमसः) अन्धकारात् (वह्निः) वोढा (आवः) आवृणोति ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथाऽग्निरुषःकाले सर्वान् प्राणिनो जागारयति अन्धकारं निवर्त्तयति तथा विद्वांसः अविद्यायां सुप्तान् जनान् प्रतिबोध्यैतेषामात्मनोऽज्ञानावरणात्पृथक् कुर्वन्ति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वान व अग्नीच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्तार्थाबरोबर मागच्या सूक्ताच्या अर्थाची संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा अग्नी प्रातःकाळी सर्व प्राण्यांना जागृत करतो व अंधार निवृत्त करतो तसे विद्वान लोक विद्येबाबत निद्रिस्त असलेल्या माणसांना जागृत करून त्यांच्या आत्म्यांना अज्ञानाच्या आवरणातून पृथक करतात. ॥ १ ॥