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द्यामिन्द्रो॒ हरि॑धायसं पृथि॒वीं हरि॑वर्पसम्। अधा॑रयद्ध॒रितो॒र्भूरि॒ भोज॑नं॒ ययो॑र॒न्तर्हरि॒श्चर॑त्॥

English Transliteration

dyām indro haridhāyasam pṛthivīṁ harivarpasam | adhārayad dharitor bhūri bhojanaṁ yayor antar hariś carat ||

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Pad Path

द्याम्। इन्द्रः॑। हरि॑ऽधायसम्। पृ॒थि॒वीम्। हरि॑ऽवर्पसम्। अधा॑रयत्। ह॒रितोः॑। भूरि॑। भोज॑नम्। ययोः॑। अ॒न्तः। हरिः॒। चर॑त्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:44» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे विद्वन् पुरुष ! जैसे (इन्द्रः) बिजुली वा सूर्य (हरिधायसम्) किरणों को धारण करने वा (द्याम्) प्रकाश लोक और (हरिवर्पसम्) जिसके रूप का प्रकाश करनेवाली किरणें विद्यमान उस (पृथिवीम्) पृथिवी को (अधारयत्) धारण करता है और जैसे (हरिः) हरनेवाला वायु (ययोः) जिन (हरितोः) हरनेवाले गुणों के (अन्तः) मध्य में वर्त्तमान हुआ (भूरि) बहुत (भोजनम्) पालन वा भक्षण का (चरत्) आचरण करता है, वैसे आप हूजिये ॥™३॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो लोग सूर्य के सदृश नियमपूर्वक धर्मयुक्त कर्मों को सिद्ध करते और वायु के सदृश निरन्तर प्रयत्न करते हैं, वे बहुत ऐश्वर्य्य को प्राप्त होकर आनन्दित होते हैं ॥™३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे विद्वन् ! यथेन्द्रो हरिधायसं द्यां हरिवर्पसं पृथिवीमधारयद्यथा हरिर्वायुर्ययोर्हरितोरन्तर्वर्त्तमानः सन् भूरि भोजनं चरत्तथा त्वं भव ॥™३॥

Word-Meaning: - (द्याम्) प्रकाशम् (इन्द्रः) विद्युत् सूर्य्यो वा (हरिधायसम्) या हरीन् किरणान् दधाति ताम् (पृथिवीम्) भूमिम् (हरिवर्पसम्) हरयः किरणा वर्पसो रूपस्य प्रकाशका यस्यास्ताम् (अधारयत्) धारयति (हरितोः) हरणशीलयोर्गुणयोः (भूरि) बहु (भोजनम्) पालनं भक्षणं वा (ययोः) (अन्तः) मध्ये (हरिः) हरणशीलो वायुः (चरत्) चरति ॥™३॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये सूर्यवन्नियमेन धर्म्यकार्याणि साध्नुवन्ति वायुरिव सततं प्रयत्नं कुर्वन्ति ते बह्वैश्वर्यं लब्ध्वाऽऽनन्दन्ति ॥™३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे लोक सूर्याप्रमाणे नियमपूर्वक धर्मयुक्त कर्म सिद्ध करतात व वायूप्रमाणे निरंतर प्रयत्न करतात ते पुष्कळ ऐश्वर्य प्राप्त करतात व आनंदित होतात. ॥ ३ ॥