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इन्द्र॒ सोमाः॑ सु॒ता इ॒मे तान्द॑धिष्व शतक्रतो। ज॒ठरे॑ वाजिनीवसो॥

English Transliteration

indra somāḥ sutā ime tān dadhiṣva śatakrato | jaṭhare vājinīvaso ||

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Pad Path

इन्द्र॑। सोमाः॑। सु॒ताः। इ॒मे। तान्। द॒धि॒ष्व॒। श॒त॒क्र॒तो॒ इति॑ शतऽक्रतो। ज॒ठरे॑। वा॒जि॒नी॒व॒सो॒ इति॑ वाजिनीऽवसो॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:42» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:5» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (वाजिनीवसो) रात्रि को वसानेवाले (शतक्रतो) बहुत कर्मों में कुशल (इन्द्र) अत्यन्त ऐश्वर्य के भोक्ता ! जो (इमे) ये (जठरे) प्रसिद्ध हुए इस संसार में (सोमाः) पदार्थ (सुताः) उत्पन्न हुए हैं उनको (दधिष्व) धारण करो ॥५॥
Connotation: - तभी मनुष्य पूर्ण विद्या और ऐश्वर्य्यवाले होवें कि जब सृष्टि में वर्त्तमान पदार्थों की विद्या को जानें ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे वाजिनीवसो शतक्रतो इन्द्र ! य इमे जठरे सोमाः सुतास्तान् दधिष्व ॥५॥

Word-Meaning: - (इन्द्र) परमैश्वर्यभोक्तः (सोमाः) पदार्थाः (सुताः) निष्पन्नाः (इमे) (तान्) (दधिष्व) (शतक्रतो) बहुकर्मप्रज्ञ (जठरे) जातेऽस्मिन् जगति (वाजिनीवसो) यो वाजिनीमुषसं वासयति तत्सम्बुद्धौ। वाजिनीत्युषसो ना०। निघं०१। ८ ॥५॥
Connotation: - तदैव मनुष्याः पूर्णविद्यैश्वर्य्याः स्युर्यदा सृष्टिस्थपदार्थविद्यां विजानन्तु ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जेव्हा माणूस सृष्टीतील विद्या जाणतो तेव्हाच तो पूर्ण विद्या व ऐश्वर्य प्राप्त करतो. ॥ ५ ॥