Go To Mantra

नकि॑रेषां निन्दि॒ता मर्त्ये॑षु॒ ये अ॒स्माकं॑ पि॒तरो॒ गोषु॑ यो॒धाः। इन्द्र॑ एषां दृंहि॒ता माहि॑नावा॒नुद्गो॒त्राणि॑ ससृजे दं॒सना॑वान्॥

English Transliteration

nakir eṣāṁ ninditā martyeṣu ye asmākam pitaro goṣu yodhāḥ | indra eṣāṁ dṛṁhitā māhināvān ud gotrāṇi sasṛje daṁsanāvān ||

Mantra Audio
Pad Path

नकिः॑। ए॒षा॒म्। नि॒न्दि॒ता। मर्त्ये॑षु। ये। अ॒स्माक॑म्। पि॒तरः॑। गोषु॑। यो॒धाः। इन्द्रः॑। ए॒षा॒म्। दृं॒हि॒ता। माहि॑नऽवान्। उत्। गो॒त्राणि॑। स॒सृ॒जे॒। दं॒सना॑ऽवान्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:39» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:25» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (इन्द्रः) सूर्य्य के सदृश वर्त्तमान (ये) वा जो (अस्माकम्) हम लोगों के (गोषु) पृथिवियों और (मर्त्येषु) मनुष्यों में (योधाः) योद्धा लोग और (पितरः) पालन करनेवाले हैं (एषाम्) इन लोगों का (दृंहिता) बढ़ानेवाला (माहिनावान्) प्रशंसित पूजन हैं जिसके वह और (दंशनावान्) जो उत्तम कर्मों से युक्त है वह (गोत्राणि) वंशों को (उत्, ससृजे) उत्पन्न करता है उसकी सेवा करो। जिससे (एषाम्) इन लोगों का (निन्दिता) गुणों में दोषों का आरोपक और दोषों में गुणों का आरोपक (नकिः) नहीं होवे ॥४॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि ऐसा प्रयत्न करें कि जिससे निन्दित न हों और आप दूसरों की स्तुति करनेवाले हों और जैसे सूर्य्य संपूर्ण जगत् का पालन करता है, वैसे रक्षा करनेवाले पितरों की सेवा करनी चाहिये ॥४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या य इन्द्रो येऽस्माकं गोषु मर्त्येषु च योधाः पितरः सन्त्येषां दृंहिता माहिनावान् दंसनावान् गोत्राण्युत्ससृजे तं भजत यत एषां निन्दिता नकिर्भवेत् ॥४॥

Word-Meaning: - (नकिः) (एषाम्) (निन्दिता) गुणेषु दोषारोपको दोषेषु गुणारोपकश्च (मर्त्येषु) मनुष्येषु (ये) (अस्माकम्) (पितरः) पालकाः (गोषु) पृथिवीषु (बोधाः) योद्धारः (इन्द्रः) सूर्य इव वर्त्तमानः (एषाम्) (दृंहिता) वर्द्धकः (माहिनावान्) प्रशस्तानि माहिनानि पूजनानि विद्यन्ते यस्य (उत्) (गोत्राणि) वंशान् (ससृजे) (दंसनावान्) प्रशस्तकर्मयुक्तः ॥४॥
Connotation: - मनुष्यैस्तथा प्रयतितव्यं यथा मनुष्येषु निन्दितारो न स्युः प्रशंसका भवेयुर्यथा सूर्य्यः सर्वं जगत् पाति तथा रक्षकाः पितरः संसेवनीयाः ॥४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी असा प्रयत्न करावा की ज्यामुळे ते निंदित होता कामा नये व दुसऱ्यांचे प्रशंसक बनावेत. सूर्य जसा जगाचे पालन करणारा असतो तसे रक्षण करणाऱ्या पितरांची सेवा करावी. ॥ ४ ॥