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तदिन्न्व॑स्य वृष॒भस्य॑ धे॒नोरा नाम॑भिर्ममिरे॒ सक्म्यं॒ गोः। अ॒न्यद॑न्यदसु॒र्यं१॒॑ वसा॑ना॒ नि मा॒यिनो॑ ममिरे रू॒पम॑स्मिन्॥

English Transliteration

tad in nv asya vṛṣabhasya dhenor ā nāmabhir mamire sakmyaṁ goḥ | anyad-anyad asuryaṁ vasānā ni māyino mamire rūpam asmin ||

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Pad Path

तत्। इत्। नु। अ॒स्य॒। वृ॒ष॒भस्य॑। धे॒नोः। आ। नाम॑ऽभिः। म॒मि॒रे॒। सक्म्य॑म्। गोः। अ॒न्यत्ऽअ॑न्यत्। अ॒सु॒र्य॑म्। वसा॑नाः। नि। मा॒यिनः॑। म॒मि॒रे॒। रू॒पम्। अ॒स्मि॒न्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:38» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:24» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राजविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - जो मनुष्य (अस्य) इस (वृषभस्य) बलिष्ठ की (धेनोः) वाणी के (नामभिः) नामों से (नु) शीघ्र जिसको (आ, ममिरे) सब ओर से नापते हैं (तत्) उस (सक्म्यम्) संयोग जिस पदार्थ में करता है उसमें उत्पन्न (गोः) वाणी से (अन्यदन्यत्) पृथक्-पृथक् वर्त्तमान (असुर्यम्) मेघपन को (वसानाः) ढाँपते हुए (मायिनः) उत्तम बुद्धिवाले (अस्मिन्) इस राज्य में (रूपम्) रूप को (नि, ममिरे) उत्पन्न करते हैं वे (इत्) ही राज्य कर सकते हैं ॥७॥
Connotation: - जो मनुष्य इस राज्य का कोमल वचनों से पालन करते हैं, वे मेघ से जल के सदृश अनेक प्रकार के ऐश्वर्य को प्राप्त होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजविषयमाह।

Anvay:

ये मनुष्या अस्य वृषभस्य धेनोर्नामभिर्नु यदा ममिरे तत्सक्म्यं गोरन्यदन्यदसुर्य्यं वसाना मायिनोऽस्मिन् रूपं निममिरे त इदेव राज्यं कर्त्तुं शक्नुयुः ॥७॥

Word-Meaning: - (तत्) (इत्) एव (नु) सद्यः (अस्य) (वृषभस्य) बलिष्ठस्य (धेनोः) वाण्याः (आ) समन्तात् (नामभिः) संज्ञाभिः (ममिरे) (सक्म्यम्) सचति संयुनक्ति यस्मिँस्तत्र भवम् (गोः) वाण्याः (अन्यदन्यत्) पृथक्पृथग्वर्त्तमानम् (असुर्य्यम्) असुरस्य मेघस्य स्वम् (वसानाः) आच्छादयन्तः (नि) (मायिनः) प्रशस्ता माया प्रज्ञा विद्यते येषान्ते (ममिरे) सृजन्ति (रूपम्) (अस्मिन्) राज्ये ॥७॥
Connotation: - ये मनुष्या अस्य राज्यस्य कोमलवचनैः पालनं विदधति ते मेघाज्जलमिव बहुविधमैश्वर्य्यं लभन्ते ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे राज्याचे मृदू वचनांनी पालन करतात त्यांना? मेघातील जलाप्रमाणे अनेक प्रकारचे ऐश्वर्य प्राप्त होते. ॥ ७ ॥