नि षी॒मिदत्र॒ गुह्या॒ दधा॑ना उ॒त क्ष॒त्राय॒ रोद॑सी॒ सम॑ञ्जन्। सं मात्रा॑भिर्ममि॒रे ये॒मुरु॒र्वी अ॒न्तर्म॒ही समृ॑ते॒ धाय॑से धुः॥
ni ṣīm id atra guhyā dadhānā uta kṣatrāya rodasī sam añjan | sam mātrābhir mamire yemur urvī antar mahī samṛte dhāyase dhuḥ ||
नि। सी॒म्। इत्। अत्र॑। गुह्या॑। दधा॑नाः। उ॒त। क्ष॒त्राय॑। रोद॑सी॒ इति॑। सम्। अ॒ञ्ज॒न्। सम्। मात्रा॑भिः। म॒मि॒रे। ये॒मुः। उ॒र्वी इति॑। अ॒न्तः। म॒ही। समृ॑ते॒ इति॒ सम्ऽऋ॑ते। धाय॑से। धुः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब भूमि विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ भूमिविषयमाह।
हे मनुष्या याः स्त्रियोऽत्र गुह्या दधानाः समृते सत्यः क्षत्राय रोदसी सीं समञ्जन्नुत मात्राभिर्निममिरे उर्वी मही समृते धायसेऽन्तः संयेमुस्ता इदेव सुखं धुः ॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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