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यु॒धेन्द्रो॑ म॒ह्ना वरि॑वश्चकार दे॒वेभ्यः॒ सत्प॑तिश्चर्षणि॒प्राः। वि॒वस्व॑तः॒ सद॑ने अस्य॒ तानि॒ विप्रा॑ उ॒क्थेभिः॑ क॒वयो॑ गृणन्ति॥

English Transliteration

yudhendro mahnā varivaś cakāra devebhyaḥ satpatiś carṣaṇiprāḥ | vivasvataḥ sadane asya tāni viprā ukthebhiḥ kavayo gṛṇanti ||

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Pad Path

यु॒धा। इन्द्रः॑। म॒ह्ना। वरि॑वः। च॒का॒र॒। दे॒वेभ्यः॑। सत्ऽप॑तिः। च॒र्ष॒णि॒ऽप्राः। वि॒वस्व॑तः। सद॑ने। अ॒स्य॒। तानि॑। विप्राः॑। उ॒क्थेभिः॑। क॒वयः॑। गृ॒ण॒न्ति॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:34» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:16» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् तथा राजपुरुष के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (देवेभ्यः) विद्वानों से शिक्षा पाके (सत्पतिः) श्रेष्ठ पुरुषों का पालन करने (चर्षणिप्राः) मनुष्यों को सत्य विद्या शिक्षा और उत्तम स्वभाव से पूर्ण करनेवाला (इन्द्रः) राज्य के ऐश्वर्य से युक्त (मह्ना) बड़े (युधा) संग्राम से जिन कर्मों का (वरिवः) सेवन (चकार) करै उस (अस्य) इस राजपुरुष के (तानि) उन कर्मों की (विवस्वतः) सूर्य्य के (सदने) मण्डल में (कवयः) विद्यायुक्त (विप्राः) बुद्धिमान् लोग (उक्थेभिः) प्रशंसा के वचनों से (गृणन्ति) स्तुति करते हैं ॥७॥
Connotation: - उन्हीं लोगों को विद्वान् और धार्मिक जानना चाहिये कि जो राजा आदिकों की झूठी स्तुति को त्याग के धर्मसम्बन्धी कर्मों की प्रशंसा करते हैं और वे ही राजा होने के योग्य हैं कि जो धर्मयुक्त आचरणों को करते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्राजपुरुषविषयमाह।

Anvay:

यो देवेभ्यः शिक्षां प्राप्य सत्पतिश्चर्षणिप्रा इन्द्रो मह्ना युधा येषां कर्मणां वरिवश्चकार तस्याऽस्य तानि विवस्वतः सदन इव कवयो विप्रा उक्थेभिर्गृणन्ति ॥७॥

Word-Meaning: - (युधा) सङ्ग्रामेण (इन्द्रः) ऐश्वर्ययुक्तः (मह्ना) महता (वरिवः) सेवनम् (चकार) कुर्यात् (देवेभ्यः) विद्वद्भ्यः (सत्पतिः) सतां पालकः (चर्षणिप्राः) यः चर्षणीन्मनुष्यान्सत्यविद्याशिक्षासुशीलैः प्राति प्रपूर्ति सः (विवस्वतः) सवितुः (सदने) मण्डले (अस्य) (तानि) (विप्राः) मेधाविनः (उक्थेभिः) प्रशंसावचनैः (कवयः) विद्वांसः (गृणन्ति) स्तुवन्ति ॥७॥
Connotation: - त एव विद्वांसो धार्मिका विज्ञेया ये राजादीनां मिथ्यास्तुतिं विहाय धर्म्याणि कर्माणि प्रशंसन्ति त एव राजानो भवितुमर्हन्ति ये धर्म्याणि कर्माण्याचरन्ति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - त्याच लोकांना विद्वान व धार्मिक समजले पाहिजे जे राजाच्या खोट्या स्तुतीचा त्याग करून धर्मकर्माची प्रशंसा करतात व तेच राजे होण्यायोग्य असतात जे धर्मयुक्त आचरण करतात. ॥ ७ ॥