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इन्द्रो॑ वृ॒त्रम॑वृणो॒च्छर्ध॑नीतिः॒ प्र मा॒यिना॑ममिना॒द्वर्प॑णीतिः। अह॒न्व्यं॑समु॒शध॒ग्वने॑ष्वा॒विर्धेना॑ अकृणोद्रा॒म्याणा॑म्॥

English Transliteration

indro vṛtram avṛṇoc chardhanītiḥ pra māyinām aminād varpaṇītiḥ | ahan vyaṁsam uśadhag vaneṣv āvir dhenā akṛṇod rāmyāṇām ||

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Pad Path

इन्द्रः॑। वृ॒त्रम्। अ॒वृ॒णो॒त्। शर्ध॑ऽनीतिः। प्र। मा॒यिना॑म्। अ॒मि॒ना॒त्। वर्प॑ऽनीतिः। अह॒न्। विऽअं॑सम्। उ॒शध॑क्। वने॑षु। आ॒विः। धेनाः॑। अ॒कृ॒णो॒त्। रा॒म्याणा॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:34» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:15» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर सूर्य के दृष्टान्त से राजधर्मविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे राजन् ! जैसे सूर्य्य (वृत्रम्) मेघ को (व्यंसम्) कटे बाहु जिसके उस पुरुष के समान (अहन्) नाश करता है वैसे (शर्धनीतिः) सेना का नायक (वर्पणीतिः) रूप को प्राप्त करानेवाले (इन्द्रः) सूर्यवत् प्रतापी राजा आप (मायिनाम्) बुरी बुद्धि से युक्त पुरुषों की माया का (प्र, अमिनात्) नाश करैं (उशधक्) और युद्ध करनेवालों का नाशकर्त्ता पुरुष (वनेषु) जङ्गलों में (धेनाः) वाणियों को (अवृणोत्) घेरै (राम्याणाम्) सुन्दरों की वाणियों को (आविः) प्रकट (अकृणोत्) करै ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे सूर्य्य मेघ का नाश करता है, वैसे ही दुष्ट आचरणवाले जनों का नाश और विद्यासम्बन्धी वाणियों का प्रचार करके सब लोगों को सेना और शिक्षा की वृद्धि करनी चाहिये ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सूर्यदृष्टान्तेन राजधर्मविषयमाह।

Anvay:

हे राजन् ! यथा सूर्य्यो वृत्रं व्यंसमहन् तथा शर्धनीतिर्वर्पणीतिरिन्द्रो भवान् मायिनां मायां प्रामिनात्। उशधक् वनेषु धेना अवृणोद्राम्याणां धेना आविरकृणोत् ॥३॥

Word-Meaning: - (इन्द्रः) सूर्य्य इव प्रतापवान् राजा (वृत्रम्) मेघमिव शत्रुम् (अवृणोत्) वृणुयात् (शर्धनीतिः) बलस्य सैन्यस्य नीतिर्नायकः (प्र) (मायिनाम्) कुत्सिता माया प्रज्ञा विद्यते येषां तेषाम् (अमिनात्) हिंसेत् (वर्पणीतिः) वर्पस्य रूपस्य नीतिर्नायकः। अत्रोभयत्र नीतौ कर्त्तरि क्तिच्। (अहन्) हन्ति (व्यंसम्) विगता अंसा यस्य तम् (उशधक्) य उशान् युद्धं कामयमानान्दहति सः (वनेषु) जङ्गलेषु (आविः) प्राकट्ये (धेनाः) वाचः। धेनेति वाङ्ना०। निघं० १। ११। (अकृणोत्) कुर्यात् (राम्याणाम्) रमणीयानाम् ॥३॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा सूर्य्यो मेघं हन्ति तथैव दुष्टाचारान् हत्वा विद्यावाचः प्रचार्य सर्वैः सेना शिक्षा च वर्धनीया ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा सूर्य मेघांचा नाश करतो तसे दुष्ट आचरण करणाऱ्या लोकांचा नाश करून विद्यायुक्त वाणीचा प्रचार करून सर्व लोकांसाठी सेना व शिक्षणाची वृद्धी केली पाहिजे. ॥ ३ ॥