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अह॒न्नहिं॑ परि॒शया॑न॒मर्ण॑ ओजा॒यमा॑नं तुविजात॒ तव्या॑न्। न ते॑ महि॒त्वमनु॑ भू॒दध॒ द्यौर्यद॒न्यया॑ स्फि॒ग्या॒३॒॑ क्षामव॑स्थाः॥

English Transliteration

ahann ahim pariśayānam arṇa ojāyamānaṁ tuvijāta tavyān | na te mahitvam anu bhūd adha dyaur yad anyayā sphigyā kṣām avasthāḥ ||

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Pad Path

अह॒न्। अहि॑म्। प॒रि॒ऽशया॑नम्। अर्णः॑। ओ॒जा॒यमा॑नम्। तु॒वि॒ऽजा॒त॒। तव्या॑न्। न। ते॒। म॒हि॒ऽत्वम्। अनु॑। भू॒त्। अध॑। द्यौः। यत्। अ॒न्यया॑। स्फि॒ग्या॑। क्षाम्। अव॑स्थाः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:32» Mantra:11 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजपुरुष क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (तुविजात) बहुत लोगों में प्रसिद्ध (तव्यान्) अत्यन्त बलयुक्त ! (यत्) जो आप जैसे (द्यौः) सूर्य प्रकाश (ओजायमानम्) बल को प्राप्त होते हुए (परिशयानम्) सब ओर से आकाश में सोते जैसे वर्त्तमान (अहिम्) मेघ को (अहन्) नाश करता है (अर्णः) जल को गिराता है और जैसे सूर्य्य का (महित्वम्) बड़ापन (अनु) (भूत्) हो वा जैसे यह मेघ (अध) तदनन्तर (अन्यया) दूसरी (स्फिग्या) मध्य के अवयवरूप से (क्षाम्) पृथिवी को ढापता है, वैसे आप शत्रुओं को (अवस्थाः) घेर के वर्त्तमान हूजिये जिससे (ते) वे आपकी महिमा को (न) नहीं काटैं ॥११॥
Connotation: - हे राजपुरुषो ! जैसे सूर्य्य अन्तरिक्ष में वर्त्तमान बलवान् मेघ का नाश और भूमि में गिरा कर उसके जल से प्राणियों का पोषण करता है, वैसे ही अधर्म में वर्त्तमान शत्रु का नाश करके उसके ऐश्वर्य्य से राज्य का पालन करो ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजपुरुषाः किं कुर्य्युरित्याह।

Anvay:

हे तुविजात तव्यान्यद्यस्त्वं यथा द्यौरोजायमानं परिशयानमहिमहन्नर्णो निपातयति यथा सूर्य्यस्य महित्वमनुभूद्यथाऽयं मेघोऽधान्यया स्फिग्या क्षामाच्छादयति तथा त्वं शत्रूनवस्था यतस्ते महित्वं न छिन्द्युः ॥११॥

Word-Meaning: - (अहन्) हन्ति (अहिम्) मेघम् (परिशयानम्) सर्वत आकाशे शयानमिव वर्त्तमानम् (अर्णः) उदकम् (ओजायमानम्) बलयन्तम् (तुविजात) बहुषु प्रसिद्ध (तव्यान्) अतिशयेन बलवान्। अत्रेयसुन ईकारलोपः (न) (ते) तव (महित्वम्) महत्त्वम् (अनु) (भूत्) भवेत् (अध) अथ (द्यौः) प्रकाशः (यत्) यः (अन्यया) (स्फिग्या) मध्यस्थावयवरूपया (क्षाम्) पृथिवीम् (अवस्थाः) वस्ते ॥११॥
Connotation: - हे राजपुरुषा यथा सूर्योऽन्तरिक्षगतं बलायमानं हृत्वा भूमौ निपात्य तज्जलेन प्राणिनः पोषयति तथैऽवाऽधर्मिष्ठं शत्रुं हत्वा तद्वैभवेन राज्यं पालयत ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजपुरुषांनो! जसा सूर्य अंतरिक्षात विद्यमान असून बलवान मेघांचा नाश करून भूमीवर पाडून त्याच्या जलाने प्राण्यांचे पोषण करतो. तसे अधर्मी शत्रूचा नाश करून त्याच्या वैभवाने राज्याचे पालन करा. ॥ ११ ॥