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यस्मै॒ धायु॒रद॑धा॒ मर्त्या॒याभ॑क्तं चिद्भजते गे॒ह्यं१॒॑ सः। भ॒द्रा त॑ इन्द्र सुम॒तिर्घृ॒ताची॑ स॒हस्र॑दाना पुरुहूत रा॒तिः॥

English Transliteration

yasmai dhāyur adadhā martyāyābhaktaṁ cid bhajate gehyaṁ saḥ | bhadrā ta indra sumatir ghṛtācī sahasradānā puruhūta rātiḥ ||

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Pad Path

यस्मै॑। धायुः॑। अद॑धाः। मर्त्या॑य। अभ॑क्तम्। चि॒त्। भ॒ज॒ते॒। गे॒ह्य॑म्। सः। भ॒द्रा। ते॒। इ॒न्द्र॒। सु॒ऽम॒तिः। घृ॒ताची॑। स॒हस्र॑ऽदाना। पु॒रु॒ऽहू॒त॒। रा॒तिः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:30» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:2» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - (पुरुहूत) (इन्द्र) सुख के दाता आप (यस्मै) जिस (मर्त्याय) मनुष्य के लिये (अभक्तम्) विभाग से रहित (गेह्यम्) गृह गृह में उत्पन्न हुए धन की (भजते) सेवा करते हैं जिसके लिये (धायुः) उत्तम पदार्थों के धारणकर्त्ता (चित्) भी आप सुख को (अदधाः) धारण करें उन (ते) आपकी जो (घृताची) सुख देनेवाली रात्रि के सदृश (भद्रा) कल्याण करनेवाली (सुमतिः) उत्तम बुद्धि और (सहस्रदाना) अनगिनती दान जिसमें दिये जाते हों ऐसी (रातिः) दान सम्बन्धिनी क्रिया है उसको (सः) वह स्वीकार करें ॥७॥
Connotation: - जो मनुष्य पिता और पितामह का धन आदि जो कि नहीं बटा हुआ, उसकी रक्षा वा सेवा करें और परस्पर दोषों को त्याग के गुणों का ग्रहण करें, वे कल्याण के भागी होवें ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे पुरुहूतेन्द्र भवान् यस्मै मर्त्यायाऽभक्तं गेह्यं भजते यस्मै धायुश्चिदपि सुखमदधास्तस्य ये या घृताचीव भद्रा सुमतिः सहस्रदाना रातिरस्ति तां स कुर्य्यात् ॥७॥

Word-Meaning: - (यस्मै) (धायुः) यो दधाति सः (अदधाः) दध्याः (मर्त्याय) मनुष्याय (अभक्तम्) विभागरहितम् (चित्) अपि (भजते) सेवते (गेह्यम्) गृहेषु गृहेषु भवम् (सः) (भद्रा) कल्याणकरी (ते) तव (इन्द्र) सुखप्रदातः (सुमतिः) शोभना प्रज्ञा (घृताची) सुखप्रदा रात्रीव (सहस्रदाना) असंख्यप्रदाना (पुरुहूत) बहुभिः सेवितः (रातिः) दानक्रिया ॥७॥
Connotation: - ये मनुष्या पितृपैतामहं धनादिकमभक्तं सेवेरन् अन्योऽन्यस्य दोषाँस्त्यक्त्वा गुणान् गृह्णीयुस्ते कल्याणभाजो भवेयुः ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे पिता व पितामह यांच्या धनाचे रक्षण व सेवा करतात व परस्पर दोषांचा त्याग करून गुणांचे ग्रहण करतात ती कल्याणात सहभागी असतात. ॥ ७ ॥