Go To Mantra

दिशः॒ सूर्यो॒ न मि॑नाति॒ प्रदि॑ष्टा दि॒वेदि॑वे॒ हर्य॑श्वप्रसूताः। सं यदान॒ळध्व॑न॒ आदिदश्वै॑र्वि॒मोच॑नं कृणुते॒ तत्त्व॑स्य॥

English Transliteration

diśaḥ sūryo na mināti pradiṣṭā dive-dive haryaśvaprasūtāḥ | saṁ yad ānaḻ adhvana ād id aśvair vimocanaṁ kṛṇute tat tv asya ||

Mantra Audio
Pad Path

दिशः॑। सूर्यः॑। न। मि॒ना॒ति॒। प्रऽदि॑ष्टाः। दि॒वेऽदि॑वे। हर्य॑श्वऽप्रसूताः। सम्। यत्। आन॑ट्। अध्व॑नः। आत्। इत्। अश्वैः॑। वि॒ऽमोच॑नम्। कृ॒णु॒ते॒। तत्। तु। अ॒स्य॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:30» Mantra:12 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:3» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:12


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (सूर्य्यः) सूर्य्य के (न) तुल्य (दिवेदिवे) प्रतिदिन (हर्यश्वप्रसूताः) हरणशील किरणोंवाले से उत्पन्न (प्रदिष्टाः) सूचना से दिखाई गई (दिशः) दिशाओं को (मिनाति) अलग-अलग करता है (आत्) अनन्तर (यत्) जो (अश्वैः) घोड़ों से (अध्वनः) मार्गों को (सम्) (आनट्) व्याप्त होता तथा (विमोचनम्) त्याग (कृणुते) करता है (तत्, इत्) वही (तु) तो (अस्य) इसका भूषण है, ऐसा जानना चाहिये ॥१२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो पुरुष अविद्या दुष्ट संस्कार और दुःखों को त्याग के जैसे सूर्य्य अन्धकार को दूर करता है वैसे अन्याय को दूर करके सम्पूर्ण दिशाओं में यश को फैलाते हैं, यही इनका कर्त्तव्य कर्म है ॥१२॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

यः सूर्य्यो न दिवेदिवे हर्यश्वप्रसूता प्रदिष्टा दिशो मिनाति। आद्यद्योऽश्वैरध्वनः समानट् विमोचनं कृणुते तदित्त्वस्य भूषणमिति वेद्यम् ॥१२॥

Word-Meaning: - (दिशः) पूर्वाद्याः (सूर्य्यः) सविता (न) इव (मिनाति) (प्रदिष्टाः) याः प्रदिश्यन्ते ताः (दिवेदिवे) प्रतिदिनम् (हर्यश्वप्रसूताः) हरयो हरणशीलाः अश्वाः किरणा यस्य तेन प्रसूता जनिताः (सम्) (यत्) (आनट्) व्याप्नोति (अध्वनः) मार्गान् (आत्) आनन्तर्य्ये (इत्) एव (अश्वैः) तुरङ्गैः (विमोचनम्) (कृणुते) करोति (तत्) (तु) (अस्य) ॥१२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यन्मनुष्या विद्याकुसंस्कारदुःखानि विमोच्य सूर्य्योऽन्धकारमिवाऽन्यायं निवर्त्य सर्वासु दिक्षु कीर्त्तिं प्रसारयन्ति तदेवैषां कर्त्तव्यं कर्माऽस्ति ॥१२॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे पुरुष अविद्या, दुष्ट संस्कार व दुःखाचा त्याग करून सूर्य जसा अंधकार दूर करतो तसा अन्याय दूर करून दशदिशांमध्ये यश पसरवितात, तेच त्यांचे कर्तव्य कर्म असते. ॥ १२ ॥