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अग्ने॒ जर॑स्व स्वप॒त्य आयु॑न्यू॒र्जा पि॑न्वस्व॒ समिषो॑ दिदीहि नः। वयां॑सि जिन्व बृह॒तश्च॑ जागृव उ॒शिग्दे॒वाना॒मसि॑ सु॒क्रतु॑र्वि॒पाम्॥

English Transliteration

agne jarasva svapatya āyuny ūrjā pinvasva sam iṣo didīhi naḥ | vayāṁsi jinva bṛhataś ca jāgṛva uśig devānām asi sukratur vipām ||

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Pad Path

अग्ने॑। जर॑स्व। सु॒ऽअ॒प॒त्ये। आयु॑नि। ऊ॒र्जा। पि॒न्व॒स्व॒। सम्। इषः॑। दि॒दी॒हि॒। नः॒। वयां॑सि। जि॒न्व॒। बृ॒ह॒तः। च॒। जा॒गृ॒वे॒। उ॒शिक्। दे॒वाना॑म्। असि॑। सु॒ऽक्रतुः॑। वि॒पाम्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:3» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:21» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वानों के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (जागृवे) जागते हुए के तुल्य (अग्ने) जाननेवाले महाशय ! आप (स्वपत्ये) अपने सन्तान के निमित्त (आयुनि) प्राप्त हुए पीछे (ऊर्जा) अन्न से (पिन्वस्व) सेवो, विद्वानों की (जरस्व) स्तुति करो (नः) हमलोगों की (इषः) चाहना करो और (वयांसि) अच्छे-अच्छे अन्नों को (सं, दिदीहि) अच्छे प्रकार प्राप्त हूजिये (च) और (बृहतः) बहुतों को (जिन्व) तृप्त कीजिये जिससे आप (विपाम्) बुद्धिमान् (देवानाम्) विद्वानों के बीच (उशिक्) मनोहर (सुक्रतुः) सुन्दर बुद्धिमान् (असि) हैं उससे विद्वान् हुए हो ॥७॥
Connotation: - जो मनुष्य अपने सन्तानों को योग्य आहार-विहार से अच्छे प्रकार पाल के उत्तम शिक्षा और विद्या के दान से विद्वान् करते हैं, वे सदैव विद्वानों के सत्सङ्ग की कामना करनेवाले धर्म के चाहनेवाले होकर बुद्धिमान् होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

हे जागृवेऽग्ने त्वं स्वपत्य आयुन्यूर्जा पिन्वस्व विदुषो जरस्व न इषो वयांसि च संदिदीहि बृहतश्च जिन्व यतस्त्वं विपां देवानामुशिक् सुक्रतुरसि तस्माद्विद्वान् जातोऽसि॥७॥

Word-Meaning: - (अग्ने) विद्वन् (जरस्व) स्तुहि। अत्र व्यत्ययेनात्मनेपदम्। जरतीति स्तुतिकर्मा। निघं०३। १४। (स्वपत्ये) स्वकीये सन्ताने (आयुनि) प्राप्ते (ऊर्जा) अन्नेन (पिन्वस्व) सेवस्व (सम्) (इषः) इच्छ (दिदीहि) प्राप्नुहि। अत्र दिव्धातोः शपः श्लुः। (नः) अस्मान् (वयांसि) कमनीयान्यन्नानि (जिन्व) प्रीणीहि (बृहतः) (च) अन्यान् (जागृवे) जागृतः (उशिक्) कमिता (देवानाम्) विदुषाम् (असि) (सुक्रतुः) सुष्ठुप्रज्ञः (विपाम्) मेधाविनाम् ॥७॥
Connotation: - ये मनुष्याः स्वसन्तानान् युक्ताहारविहारेण संपाल्य सुशिक्षाविद्यादानेन विदुषः कुर्वन्ति ते सदैव विद्वत्सङ्गकामा धर्मेच्छा भूत्वा धीमन्तो भवन्ति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे युक्त आहार-विहाराने संतानांना विद्वान करतात ती सदैव विद्वानांचा संग व धर्माची इच्छा बाळगणारी असून बुद्धिमान असतात. ॥ ७ ॥