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अ॒रण्यो॒र्निहि॑तो जा॒तवे॑दा॒ गर्भ॑इव॒ सुधि॑तो ग॒र्भिणी॑षु। दि॒वेदि॑व॒ ईड्यो॑ जागृ॒वद्भि॑र्ह॒विष्म॑द्भिर्मनु॒ष्ये॑भिर॒ग्निः॥

English Transliteration

araṇyor nihito jātavedā garbha iva sudhito garbhiṇīṣu | dive-diva īḍyo jāgṛvadbhir haviṣmadbhir manuṣyebhir agniḥ ||

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Pad Path

अ॒रण्योः॑। निऽहि॑तः। जा॒तऽवे॑दाः। गर्भः॑ऽइव। सुऽधि॑तः। ग॒र्भिणी॑षु। दि॒वेऽदि॑वे। ईड्यः॑। जा॒गृ॒वत्ऽभिः॑। ह॒विष्म॑त्ऽभिः। म॒नु॒ष्ये॑भिः। अ॒ग्निः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:29» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:32» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जिन (हविष्मद्भिः) बहुत साधनों के ग्रहण करने तथा (जागृवद्भिः) अविद्या आलस्य और निद्रा त्याग विद्या और पुरुषार्थ आदि को प्राप्त होने और (मनुष्येभिः) मनन करनेवाले पुरुषों ने (अरण्योः) ऊपर और नीचे के भाग में वर्त्तमान साधनों के मध्य में (निहितः) स्थित (गर्भिणीषु) गर्भवती स्त्रियों में (गर्भइव) जैसे गर्भ रहता वैसे वर्त्तमान (दिवेदिवे) प्रतिदिन (ईड्यः) खोजने योग्य (जातवेदाः) उत्पन्न हुए सम्पूर्ण पदार्थों में वर्त्तमान (अग्निः) अग्नि (सुधितः) उत्तम प्रकार धारण किया, उन पुरुषों को भाग्यशाली जानना चाहिये ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो मनुष्य सृष्टि के क्रम से वर्त्तमान अग्नि आदि पदार्थों की प्रतिदिन परीक्षा करें करावें, तो वे क्यों दरिद्र होवें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

यैर्हविष्मद्भिर्जागृवद्भिर्मनुष्येभिररण्योर्निहितो गर्भिणीषु गर्भ इव स्थितो दिवेदिवे ईड्यो जातवेदा अग्निः सुधितस्ते भाग्यवन्तो विज्ञेयाः ॥२॥

Word-Meaning: - (अरण्योः) उपर्य्यधस्थयोः साधनयोः (निहितः) स्थितः (जातवेदाः) जातेषु सर्वेषु पदार्थेषु विद्यमानोऽग्निः (गर्भइव) यथा गर्भस्तथा (सुधितः) सुष्ठु धृतः (गर्भिणीषु) गर्भा विद्यन्ते यासु तासु (दिवेदिवे) प्रतिदिनम् (ईड्यः) अध्यन्वेषणीयः (जागृवद्भिः) अविद्याऽऽलस्यनिद्रा विहाय विद्यापुरुषार्थादिकं प्राप्तैः (हविष्मद्भिः) बहूनि हवींष्यादत्तानि साधनानि यैस्तैः (मनुष्येभिः) मननशीलैः (अग्निः) वह्निः ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये मनुष्याः सृष्टिक्रमेण विद्यमानानग्न्यादिपदार्थान्प्रतिदिनं परीक्षयेयुस्ते कुतो दरिद्रा भवेयुः ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जी माणसे सृष्टिक्रमाने विद्यमान असलेल्या अग्नी इत्यादीची प्रत्येक दिवशी परीक्षा करतात व करवितात ते दरिद्री कसे राहतील? ॥ २ ॥