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सु॒नि॒र्मथा॒ निर्म॑थितः सुनि॒धा निहि॑तः क॒विः। अग्ने॑ स्वध्व॒रा कृ॑णु दे॒वान्दे॑वय॒ते य॑ज॥

English Transliteration

sunirmathā nirmathitaḥ sunidhā nihitaḥ kaviḥ | agne svadhvarā kṛṇu devān devayate yaja ||

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Pad Path

सु॒निः॒ऽमथा॑। निःऽम॑थितः। सु॒ऽनि॒धा। निऽहि॑तः। क॒विः। अग्ने॑। सु॒ऽअ॒ध्व॒रा। कृ॒णु॒। दे॒वान्। दे॒व॒ऽय॒ते। य॒ज॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:29» Mantra:12 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:34» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के सदृश तेजस्वी विद्वान् पुरुष ! जैसे (सुनिर्मथा) सुन्दर मथने के वस्तु से (निर्मथितः) अत्यन्त मथा (सुनिधा) उत्तम आधार वस्तु में (निहितः) धरा गया (कविः) और सर्वत्र दीख पड़नेवाला अग्नि बहुत से कार्य्यों को सिद्ध करता है, वैसे ही (स्वध्वरा) उत्तम अहिंसा आदि कर्मों से युक्त (देवान्) उत्तम गुणों को (कृणु) धारण करो और इन (देवयते) उत्तम गुणों की कामना करते हुए पुरुष के लिये उन गुणों को (यज) दीजिये ॥१२॥
Connotation: - जैसे विद्या से रचे हुए कलायन्त्रों में रक्खा गया अग्नि अत्यन्त मथने और घिसने से वेग आदि गुणों को उत्पन्न कर बहुत से कार्य्यों को सिद्ध करता है, वैसे ही उत्तम कर्म्मों को करके श्रेष्ठ गुणों को प्राप्त होओ ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अग्ने यथा सुनिर्मथा निर्मथितः सुनिधा निहितः कविरग्निर्बहूनि कार्य्याणि सङ्गमयति तथैव स्वध्वरा देवान् कृणु एतान् देवयते यज ॥१२॥

Word-Meaning: - (सुनिर्मथा) शोभनेन मन्थनेन (निर्मथितः) नितरां विलोडितः (सुनिधा) शोभने निधाने। अत्र ङेराकारादेशः। (निहितः) धृतः (कविः) क्रान्तदर्शनः (अग्ने) पावकइव विद्वन् (स्वध्वरा) शोभनान्यहिंसादीनि कर्माणि येषु व्यवहारेषु (कृणु) (देवान्) दिव्यगुणान् (देवयते) देवान् कामयमानाय (यज) देहि ॥१२॥
Connotation: - यथा विद्यया निर्मितेषु कलायन्त्रेषु स्थापितोऽग्निर्निमन्थनेन घर्षणेन च वेगादिगुणान् जनयित्वा बहूनि कार्य्याणि साध्नोति तथैवोत्तमानि कर्माणि कृत्वा दिव्यान् भोगान् प्राप्नुवन्तु ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसे विद्येने निर्मित कलायंत्रात ठेवलेला अग्नी अत्यंत मंथनाने व घर्षणाने वेग इत्यादी गुणांना उत्पन्न करून पुष्कळ कार्य सिद्ध करतो, तसेच उत्तम कर्म करून श्रेष्ठ गुण प्राप्त करा. ॥ १२ ॥