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अ॒यं सो अ॒ग्निर्यस्मि॒न्त्सोम॒मिन्द्रः॑ सु॒तं द॒धे ज॒ठरे॑ वावशा॒नः। स॒ह॒स्रिणं॒ वाज॒मत्यं॒ न सप्तिं॑ सस॒वान्त्सन्त्स्तू॑यसे जातवेदः॥

English Transliteration

ayaṁ so agnir yasmin somam indraḥ sutaṁ dadhe jaṭhare vāvaśānaḥ | sahasriṇaṁ vājam atyaṁ na saptiṁ sasavān san stūyase jātavedaḥ ||

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Pad Path

अ॒यम्। सः। अ॒ग्निः। यस्मि॑न्। सोम॑म्। इन्द्रः॑। सु॒तम्। द॒धे। ज॒ठरे॑। वा॒व॒शा॒नः। स॒ह॒स्रिण॑म्। वाज॑म्। अत्य॑म्। न। सप्ति॑म्। स॒स॒वान्। सन्। स्तू॒य॒से॒। जा॒त॒ऽवे॒दः॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:22» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:22» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब बाईसवें सूक्त का प्रारम्भ है। इसके प्रथम मन्त्र से अग्नि के गुणवर्णन विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (जातवेदः) उत्तम विद्याधारी ! (यस्मिन्) जिसमें (अयम्) यह (अग्निः) बिजुली (सहस्रिणम्) असङ्ख्य पराक्रमयुक्त (वाजम्) वेग और (अत्यम्) व्यापक शीघ्र चलनेवाले वायु के (न) तुल्य (सप्तिम्) अग्निनामक अश्व को (दधे) धारण करता है उसमें (वावशानः) अत्यन्त कामना करनेवाला (इन्द्रः) जीवात्मा आप (जठरे) पेट की अग्नि में (सुतम्) उत्पन्न (सोमम्) पदार्थों के समूह के धारणकर्त्ता आप (ससवान्) विभागकारक (सन्) होकर (स्तूयसे) स्तुति करने योग्य हो ॥१॥
Connotation: - जो मनुष्य विद्या से अग्नि को चलावें, तो यह अग्नि हज़ारों घोड़ों के बल को धारण करता है ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निगुणमाह।

Anvay:

हे जातवेदो ! यस्मिन्नयमग्निः सहस्रिणं वाजमत्यं न सप्तिं दधे तस्मिन् वावशान इन्द्रो भवान् जठरे सुतं सोमन्दधे स त्वं ससवान् सन् स्तूयसे ॥१॥

Word-Meaning: - (अयम्) (सः) (अग्निः) विद्युत् (यस्मिन्) (सोमम्) पदार्थसमूहम् (इन्द्रः) जीवः (सुतम्) निष्पन्नम् (दधे) धरति (जठरे) उदराग्नौ (वावशानः) भृशं कामयमानः (सहस्रिणम्) असङ्ख्यं बलं विद्यते यस्मिँस्तम् (वाजम्) वेगम् (अत्यम्) व्यापकं शीघ्रगामिनं वायुम् (न) इव (सप्तिम्) अग्न्याख्यमश्वम् (ससवान्) संभाजकः (सन्) (स्तूयसे) (जातवेदः) जातविद्य ॥१॥
Connotation: - यदि मनुष्या विद्ययाग्निं चालयेयुस्तर्ह्ययं सहस्राणामश्वानां बलन्धरति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अग्नीच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जी माणसे विद्येने अग्नीचा उपयोग करतात तेव्हा तो अग्नी हजारो घोड्यांचे बळ धारण करतो. ॥ १ ॥