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स रो॑चयज्ज॒नुषा॒ रोद॑सी उ॒भे स मा॒त्रोर॑भवत्पु॒त्र ईड्यः॑। ह॒व्य॒वाळ॒ग्निर॒जर॒श्चनो॑हितो दू॒ळभो॑ वि॒शामति॑थिर्वि॒भाव॑सुः॥

English Transliteration

sa rocayaj januṣā rodasī ubhe sa mātror abhavat putra īḍyaḥ | havyavāḻ agnir ajaraś canohito dūḻabho viśām atithir vibhāvasuḥ ||

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Pad Path

सः। रो॒च॒य॒त्। ज॒नुषा॑। रोद॑सी॒ इति॑। उ॒भे इति॑। सः। मा॒त्रोः। अ॒भ॒व॒त्। पु॒त्रः। ईड्यः॑। ह॒व्य॒ऽवाट्। अ॒ग्निः। अ॒जरः॑। चनः॑ऽहितः। दुः॒ऽदभः॑। वि॒शाम्। अति॑थिः। वि॒भाऽव॑सुः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:2» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अग्नि के गुणों को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (सः) वह (अग्निः) अग्नि (जनुषा) जन्म से अर्थात् उत्तेजना से (उभे) दोनों (रोदसी) सूर्य्य और भूमिको (रोचयत्) प्रकाशित करे और (सः) वह अग्नि (मात्रोः) इन मान करनेवाली सूर्य भूमियों में (ईड्यः) स्तुति करने योग्य (पुत्रः) पुत्र के समान हो तथा जो (अग्निः) अग्नि (हव्यवाट्) हव्य पदार्थ को पहुँचानेवाला (अजरः) जीर्णावस्था रहित (चनोहितः) अन्नादि पदार्थों का हितकारी (दूडभः) दुःख से प्राप्त होने योग्य (विश्वावसुः) जो विविध प्रकार की कान्तियों का वसानेवाला (विशाम्) प्रजाओं के समीप (अतिथिः) निरन्तर पहुँचनेवाला हो उसका यथावत् जानो ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो ब्रह्मचर्य्य से विद्या और उत्तम शिक्षाओं को प्राप्त सत्पुत्र हो, वह भूमि और आकाश के बीच विराजमान हो सूर्य के समान सब का हितकारी हो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ वह्निगुणानाह।

Anvay:

हे मनुष्या यथा सोऽग्निर्जनुषा उभे रोदसी रोचयत्सोऽनयोर्मात्रोरीड्यः पुत्रइवाभवत्। योऽग्निर्हव्यवाडजरश्चनोहितो दूळभो विभावसुर्विशामतिथिरभवत्तं यथावद्विजानीत ॥२॥

Word-Meaning: - (स) (रोचयत्) रोचयेत्। अत्राडभावः। (जनुषा) जन्मना (रोदसी) सूर्य्यभूमी (उभे) (सः) (मात्रोः) (अभवत्) भवेत् (पुत्रः) (ईड्यः) स्तोतुमर्हः (हव्यवाट्) यो हव्यं वहति प्राप्नोति सः (अग्निः) (अजरः) जीर्णावस्थारहितः (चनोहितः) चनसे अन्नाय हितः (दूळभः) दुःखेन दभितुं योग्यः (विशाम्) प्रजानाम् (अतिथिः) सततं गन्ता (विभावसुः) यो विविधा भा वासयति सः ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यदि ब्रह्मचर्य्येण विद्यासुशिक्षाः प्राप्य सत्पुत्रो जायेत स भूम्याकाशयोर्मध्ये विराजमानः सूर्य्यइव सर्वेषां हितकारी स्यात् ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - भावार्थ -या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जो ब्रह्मचर्यपूर्वक विद्या प्राप्त करून सुशिक्षित बनतो तो सत्पुत्र असतो. तो भूमी व आकाशात विराजमान असलेल्या सूर्याप्रमाणे सर्वांचा हितकारी असतो. ॥ २ ॥