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त्रीण्यायूं॑षि॒ तव॑ जातवेदस्ति॒स्र आ॒जानी॑रु॒षस॑स्ते अग्ने। ताभि॑र्दे॒वाना॒मवो॑ यक्षि वि॒द्वानथा॑ भव॒ यज॑मानाय॒ शं योः॥

English Transliteration

trīṇy āyūṁṣi tava jātavedas tisra ājānīr uṣasas te agne | tābhir devānām avo yakṣi vidvān athā bhava yajamānāya śaṁ yoḥ ||

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Pad Path

त्रीणि॑। आयूं॑षि। तव॑। जा॒त॒ऽवे॒दः॒। ति॒स्रः। आ॒ऽजानीः॑। उ॒षसः॑। ते॒। अ॒ग्ने॒। ताभिः॑। दे॒वाना॑म्। अवः॑। य॒क्षि॒। वि॒द्वान्। अथ॑। भ॒व॒। यज॑मानाय। शम्। योः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:17» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:17» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (जातवेदः) सम्पूर्ण उत्पन्न पदार्थ के ज्ञाता (अग्ने) अग्नि के सदृश तेजस्वी और (विद्वान्) सत्य असत्य के ज्ञाता पुरुष ! आप जैसे (ते) आपका जाना अग्नि (यजमानाय) किसी पदार्थ में अग्नि का संयोग करनेवाले के लिये (शम्) कल्याणकारक होता है वैसे (तव) आपके जो (त्रीणि) तीन प्रकार के शरीर आत्मा मन के सुखकारक (आयूंषि) जीवन और जैसे अग्नि के सदृश तेजस्वी (तिस्रः) तीन (आजानीः) सब ओर से प्रसिद्ध (उषसः) प्रकाशकारक समय वैसे ही (योः) संयोगकारक वा भेदक आप (यक्षि) संप्राप्त होते (ताभिः) उन वेलाओं से (देवानाम्) पदार्थों की वा विद्वानों की (अवः) रक्षा आदि कीजिये और कल्याण करनेवाले भी (भव) हूजिये ॥३॥
Connotation: - जो मनुष्य बहुत काल पर्य्यन्त ब्रह्मचर्य्य नियत भोजन और विहार से आयु बढ़ाने की इच्छा करें तो त्रिगुण अर्थात् तीनसौ वर्ष तक जीवन हो सकता है ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे जातवेदोऽग्ने विद्वांस्त्वं यथा तेऽग्निर्यजमानाय शंकरो भवति तथैव तव यानि त्रीण्यायूंषि यथाऽग्नेस्तिस्र आजानीरुषसस्तथा योः सन् यक्ष्यथ ताभिर्देवानामवो विधेहि शंकरश्च भव ॥३॥

Word-Meaning: - (त्रीणि) त्रिविधानि शरीरात्ममनः सुखकराणि (आयूंषि) जीवनानि (तव) (जातवेदः) जातवित्त (तिस्रः) (आजानीः) समन्तात्प्रसिद्धाः (उषसः) प्रकाशकर्त्र्यो वेलाः (ते) तव (अग्ने) अग्निरिव वर्त्तमान (ताभिः) वेलाभिः (देवानाम्) दिव्यानां पदार्थानां विदुषां वा (अवः) रक्षणादिकम् (यक्षि) सङ्गच्छसे (विद्वान्) सत्यासत्यवेत्ता (अथ)। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (भव) (यजमानाय) सङ्गन्त्रे (शम्) सुखम् (योः) मिश्रयिता भेदको वा ॥३॥
Connotation: - यदि मनुष्या दीर्घेण ब्रह्मचर्येण युक्ताहारविहाराभ्यां जीवनं वर्द्धितुमिच्छेयुस्तर्हि त्रिगुणं त्रीणि शतानि वर्षाणि तावद्भवितुं शक्यमिति विज्ञेयम् ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - भावार्थ -जी माणसे दीर्घ ब्रह्मचर्ययुक्त आहारविहारांनी दीर्घायू बनण्याची इच्छा करतात तेव्हा ती तीनशे वर्षांपर्यंत जगू शकतात. ॥ ३ ॥