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स॒मि॒ध्यमा॑नः प्रथ॒मानु॒ धर्मा॒ समु॒क्तभि॑रज्यते वि॒श्ववा॑रः। शो॒चिष्के॑शो घृ॒तनि॑र्णिक्पाव॒कः सु॑य॒ज्ञो अ॒ग्निर्य॒जथा॑य दे॒वान्॥

English Transliteration

samidhyamānaḥ prathamānu dharmā sam aktubhir ajyate viśvavāraḥ | śociṣkeśo ghṛtanirṇik pāvakaḥ suyajño agnir yajathāya devān ||

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Pad Path

स॒म्ऽइ॒ध्यमा॑नः। प्र॒थ॒मा। अनु॑। धर्म॑। सम्। अ॒क्तुऽभिः॑। अ॒ज्य॒ते॒। वि॒श्वऽवा॑रः। शो॒चिःऽके॑शः। घृ॒तऽनि॑र्निक्। पा॒व॒कः। सु॒ऽय॒ज्ञः। अ॒ग्निः। य॒जथा॑य। दे॒वान्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:17» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:17» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पाँच ऋचावाले सत्रहवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में अग्नि के गुणों को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (समिध्यमानः) उत्तम प्रकार प्रकाशमान (विश्ववारः) सकल जन का प्रिय (शोचिष्केशः) तेजरूप केशवान् (घृतनिर्णिक्) तेजस्वी (पावकः) पवित्रकर्त्ता (सुयज्ञः) सुन्दर यज्ञ जिससे हों वह अग्नि (समक्तुभिः) उत्तम रात्रियों से (यजथाय) सङ्ग के लिये (प्रथमा) प्रसिद्ध (धर्म) धर्मों को (अज्यते) उत्तम प्रकार प्रसिद्ध करता तथा (देवान्) उत्तम गुणों का (अनु) प्रस्तार करता है, उसको अच्छे प्रकार प्रेरणा करो ॥१॥
Connotation: - जो अति गुणों से युक्त अग्नि आदि पदार्थ से कार्य्यों को सिद्ध करें, तो सम्पूर्ण कार्य्य मनुष्य सिद्ध कर सकते हैं ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निगुणानाह।

Anvay:

हे मनुष्या यः समिध्यमानो विश्ववारः शोचिष्केशो घृतनिर्णिक् पावकः सुयज्ञोऽग्निः समक्तुभिर्यजथाय प्रथमा धर्माज्यते देवाननुगमयति तं संप्रयुङ्ग्ध्वम् ॥१॥

Word-Meaning: - (समिध्यमानः) सम्यक् प्रदीप्यमानः (प्रथमा) प्रख्यातानि (अनु) (धर्म) धर्माणि। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (सम्, अक्तुभिः) सम्यक् रात्रिभिः (अज्यते) प्रक्षिप्यते (विश्ववारः) यो विश्वं वृणोति (शोचिष्केशः) शोचींषि तेजांसि इव केशा यस्य सः (घृतनिर्णिक्) यो घृतेन निर्णेक्ति सः (पावकः) पवित्रकर्त्ता (सुयज्ञः) शोभना यज्ञा यस्मात् सः (अग्निः) पावकः (यजथाय) सङ्गमनाय (देवान्) दिव्यान् गुणान् ॥१॥
Connotation: - यदि पुष्कलगुणयुक्तेनाऽग्न्यादिपदार्थेन कार्य्याणि साध्नुयुस्तर्हि किं कार्य्यमसिद्धं भवेत् ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अग्नी व विद्वान यांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - भावार्थ -जर अनंत गुणांनी युक्त अग्नी इत्यादी पदार्थाने कार्य सिद्ध होते, तर माणसे संपूर्ण कार्य का सिद्ध करू शकणार नाहीत? ॥ १ ॥