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इ॒मं न॑रो मरुतः सश्चता॒ वृधं॒ यस्मि॒न्रायः॒ शेवृ॑धासः। अ॒भि ये सन्ति॒ पृत॑नासु दू॒ढ्यो॑ वि॒श्वाहा॒ शत्रु॑माद॒भुः॥

English Transliteration

imaṁ naro marutaḥ saścatā vṛdhaṁ yasmin rāyaḥ śevṛdhāsaḥ | abhi ye santi pṛtanāsu dūḍhyo viśvāhā śatrum ādabhuḥ ||

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Pad Path

इ॒मम्। न॒रः॒। म॒रु॒तः॒। स॒श्च॒त॒। वृध॑म्। यस्मि॑न्। रायः॑। शेऽवृ॑धासः। अ॒भि। ये। सन्ति॑। पृत॑नासु। दुः॒ऽध्यः॑। वि॒श्वाहा॑। शत्रु॑म्। आ॒ऽद॒भुः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:16» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:16» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (मरुतः) वायु के सदृश बलयुक्त मनुष्यो ! (नरः) विद्या और नम्रता के नायक आप लोग (यस्मिन्) जिस व्यवहार में (शेवृधासः) सुखवृद्धिकारक (रायः) धन (सन्ति) होते हैं उस (इमम्) इस (वृधम्) पुत्र आदि की वृद्धिकारक व्यवहार को (विश्वाहा) सर्वदा (सश्चत) प्राप्त करो (ये) जो (पृतनासु) मनुष्यों की सेनाओं में (दूढ्यः) कठिनता से पराजित होने योग्य पुरुष हैं ऐसे और (शत्रुम्) शत्रु को (आदभुः) सब ओर से नाश करें उन पुरुषों को (अभि) सबप्रकार प्राप्त होओ ॥२॥
Connotation: - राजपुरुषों को चाहिये कि जिस प्रकार धन राजस्थिति और प्रतिष्ठा बढ़े और जिस प्रकार सेनाओं में उत्तम वीर पुरुष होवें, वैसा सत्य व्यवहार सदा करें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मरुतो नरो यूयं यस्मिञ्छेवृधासो रायः सन्ति तमिमं वृधं विश्वाहा सश्चत। ये पृतनासु दूढ्यः सन्ति शत्रुमादभुस्तानभि सश्चत ॥२॥

Word-Meaning: - (इमम्) (नरः) विद्याविनयनेतारः (मरुतः) वायव इव मनुष्याः (सश्चत) प्राप्नुत। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (वृधम्) वर्द्धकं व्यवहारम् (यस्मिन्) यस्मिन् व्यवहारे (रायः) श्रियः (शेवृधासः) शेवॄन् सुखानि दधति येभ्यस्ते (अभि) (ये) (सन्ति) (पृतनासु) मनुष्यसेनासु (दूढ्यः) दुःखेन ध्यातुं योग्यान् (विश्वाहा) सर्वाण्यहानि (शत्रुम्) (आदभुः) समन्ताद्धिंसन्तु ॥२॥
Connotation: - राजपुरुषैर्यथा धनराजसत्ताप्रतिष्ठा वर्धेरन् यथा च सेनासूत्तमा वीरा जायेरन् यथा सत्यव्यवहारः सदाऽनुष्ठेयः ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या प्रकारे धन, राज्याची स्थिती व प्रतिष्ठा वाढेल, ज्या प्रकारे सेनेमध्ये उत्तम वीर पुरुष निर्माण होतील तसा सत्य व्यवहार राजपुरुषांनी करावा. ॥ २ ॥