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आ यः स्व१॒॑र्ण भा॒नुना॑ चि॒त्रो वि॒भात्य॒र्चिषा॑। अ॒ञ्जा॒नो अ॒जरै॑र॒भि॥

English Transliteration

ā yaḥ svar ṇa bhānunā citro vibhāty arciṣā | añjāno ajarair abhi ||

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Pad Path

आ। यः। स्वः॑। न। भा॒नुना॑। चि॒त्रः। वि॒ऽभाति॑। अ॒र्चिषा॑। अ॒ञ्जा॒नः। अ॒जरैः॑। अ॒भि॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:8» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:29» Mantra:4 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - (यः) जो बिजुलीरूप (चित्रः) चित्र-विचित्र अद्भुत अग्नि (अजरैः) अविनाशी पदार्थों से (अभि,अञ्जानः) सब ओर से सब पदार्थों को प्रकट करता हुआ अग्नि (अर्चिषा) प्रशंसनीय (भानुना) प्रकाश से (स्वः) आदित्य के (न) समान (आ,विभाति) अच्छे प्रकार प्रकाशित होता है, वह सबको ढूँढने योग्य है ॥४॥
Connotation: - अग्नि यह सूक्ष्म परमाणुरूप पदार्थों में सर्वदा अपने रूप के साथ रहता है। काष्ठ आदि में पदार्थों की वृद्धि और न्यूनता आदि से कोई समय बढ़ता और कभी कमती होता है ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

यो विद्युद्रूपश्चित्रोऽजरैरभ्यञ्जानोऽग्निरर्चिषा भानुना स्वर्ना विभाति स सर्वैरन्वेषणीयः ॥४॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (यः) (स्वः) आदित्यः (न) इव (भानुना) प्रकाशेन (चित्रः) अद्भुतः (विभाति) प्रकाशते (अर्चिषा) पूजनीयेन (अञ्जानः) प्रकटीकुर्वन् (अजरैः) वयोहानिरहितैः (अभि) सर्वतः ॥४॥
Connotation: - अग्निरयं सूक्ष्मपरमाणुरूपेषु पदार्थेषु सर्वदा स्वरूपेणावतिष्ठते काष्ठादिषु पदार्थवृद्धिह्रासादिना कदाचित् वर्द्धते कदाचिद्ध्रसते च ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - अग्नी हा सूक्ष्म परमाणूरूपी पदार्थांमध्ये सदैव आपल्या स्वरूपाने उपस्थित असतो. काष्ठ इत्यादी पदार्थांमध्ये वृद्धी व ऱ्हास यांनी कधी वाढतो तर कधी कमी होतो. ॥ ४ ॥