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ईळा॑नायाव॒स्यवे॒ यवि॑ष्ठ दूत नो गि॒रा। यजि॑ष्ठ होत॒रा ग॑हि॥

English Transliteration

īḻānāyāvasyave yaviṣṭha dūta no girā | yajiṣṭha hotar ā gahi ||

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Pad Path

ईळा॑नाय। अ॒व॒स्यवे॑। यवि॑ष्ठ। दू॒त॒। नः॒। गि॒रा। यजि॑ष्ठ। हो॒तः॒। आ। ग॒हि॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:6» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:27» Mantra:6 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (यविष्ठ) अतीव युवावस्था वाले (यजिष्ठ) अत्यन्त प्रशंसा और सत्कार के योग्य (दूत) दुष्टों को सब ओर से कष्ट देने और (होतः) दानकर्म करनेवाले ! आप जैसे (अवस्यवे) अपने को रक्षा की इच्छा करनेवाले (ईडानाय) स्तुति करते हुए जन के लिये (गिरा) वाणी से सुख देते हैं वैसे आप (नः) हम लोगों को (आगहि) अच्छे प्रकार प्राप्त हूजिये ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे मनुष्यों को दूतरूप अग्नि पृथिवीतल से ऊपर पदार्थों को पहुँचा और जलों को वर्षा कर सबकी रक्षा का निमित्त होता है, वैसे विद्वान् जन उत्तम वचन से सबका हित करनेवाला होता है ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे यविष्ठ यजिष्ठ दूत होतस्त्वं यथाऽवस्यव ईळानाय गिरा सुखं प्रयच्छसि तथा नोऽस्माना गहि ॥६॥

Word-Meaning: - (ईळानाय) स्तुवते (अवस्यवे) आत्मनो वो रक्षणमिच्छवे (यविष्ठ) अतिशयेन युवन् (दूत) यो दुनाति दुष्टाँस्तत्सम्बुद्धौ (नः) अस्मान् (गिरा) वाण्या (यजिष्ठ) अतिशयेन पूजितुं योग्य (होतः) दातः (आ) (गहि) समन्तात् प्राप्नुहि ॥६॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा मनुष्याणां दूतोऽग्निर्भूतलादुपरि पदार्थान्नीत्वा जलं वर्षयित्वा च सर्वस्य रक्षणनिमित्तो भवति तथा विद्वान् सुवचनेन सर्वस्य हितकारी जायते ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा मनुष्याचा दूतरूप अग्नी पृथ्वीवरील पदार्थांना वर पोचवून जलाचा वर्षाव करून सर्वांच्या रक्षणाचे निमित्त बनतो, तसे विद्वान लोकही उत्तम वचनाने सर्वांचे हितकारी बनतात. ॥ ६ ॥