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इ॒मां मे॑ अग्ने स॒मिध॑मि॒मामु॑प॒सदं॑ वनेः। इ॒मा ऊ॒ षु श्रु॑धी॒ गिरः॑॥

English Transliteration

imām me agne samidham imām upasadaṁ vaneḥ | imā u ṣu śrudhī giraḥ ||

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Pad Path

इ॒माम्। मे॒। अ॒ग्ने॒। स॒म्ऽइध॑म्। इ॒माम्। उ॒प॒ऽसद॑म्। व॒ने॒रिति॑ वनेः। इ॒माः। ऊँ॒ इति॑। सु। श्रु॒धि॒। गिरः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:6» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:27» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब आठ चावाले छठे सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में अग्नि के गुणों का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के समान अध्यापक विद्वान् ! जैसे अग्नि (मे) मेरे (इमाम्) इस (समिधम्) इन्धन को और (इमाम्) इस (उपसदम्) वेदी को कि जिसमें स्थित होते हैं सेवन करता है वैसे आप (वनेः) सेवन करनेवाले विद्यार्थी की (इमाः) इन (उ) (गिरः) वाणियों को (सु,श्रुधि) सुन्दरता से सुनो ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे विद्वान् ! जैसे अग्नि समिधाओं में बढ़ता है, वैसे हम लोगों को परीक्षा से और हमारे वचनों को सुनकर बढ़ाइये ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निगुणानाह।

Anvay:

हे अग्नेऽध्यापक यथाऽग्निर्मे ममेमां समिधमिमामुपसदं च सेवते तथा त्वं वनेरिमा उ गिरः सु श्रुधि ॥१॥

Word-Meaning: - (इमाम्) (मे) मम (अग्ने) अग्निरिव विद्वन् (समिधम्) इन्धनम् (इमाम्) (उपसदम्) उपसीदन्ति यस्यां तां वेदीम् (वनेः) (इमाः) (उ) (सु) सुष्ठु (श्रुधि) शृणु। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (गिरः) वाणीः ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे विद्वन् यथा वह्निः समिद्भिर्वर्धते तथाऽस्मान् परीक्षयाऽस्मद्वचांसि च श्रुत्वा वर्द्धय ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात वह्नी व ईश्वराच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती आहे, हे जाणले पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे विद्वाना! जसा अग्नी समिधांमुळे वाढतो तशी आमची परीक्षा करून आमचे वचन ऐकून आम्हाला वाढव. ॥ १ ॥