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ता अ॑स्य॒ वर्ण॑मा॒युवो॒ नेष्टुः॑ सचन्त धे॒नवः॑। कु॒वित्ति॒सृभ्य॒ आ वरं॒ स्वसा॑रो॒ या इ॒दं य॒युः॥

English Transliteration

tā asya varṇam āyuvo neṣṭuḥ sacanta dhenavaḥ | kuvit tisṛbhya ā varaṁ svasāro yā idaṁ yayuḥ ||

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Pad Path

ताः। अ॒स्य॒। वर्ण॑म्। आ॒युवः॑। नेष्टुः॑। स॒च॒न्त॒। धे॒नवः॑। कु॒वित्। ति॒सृऽभ्यः॑। आ। वर॑म्। स्वसा॑रः। याः। इ॒दम्। य॒युः॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:5» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:26» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विदुषी स्त्री के विषय में कहते हैं।

Word-Meaning: - (याः) जो (स्वसारः) बहिन कन्या जन (तिसृभ्यः) कर्म, उपासना और ज्ञान विद्याओं से (कुवित्) (वरम्) स्वीकार करने योग्य बन्धु समुदाय को (आ, ययुः) प्राप्त होवें (ताः) वे (अस्य) इस (नेष्टुः) नायक सर्व विद्याओं में अग्रगामी वेद के (वर्णम्) स्वीकार करने योग्य विषय और (इदम्) जल को (आयुवः) प्राप्त हुई (धेनवः) गौओं के समान सबको सुखों से (सचन्त) सम्बन्ध करती हैं ॥५॥
Connotation: - जो बहिन अपने प्रियबन्धु को और कन्या विद्याविषय को प्राप्त होती हैं, वे गौओं के समान उत्तम सुख को उत्पन्न करती हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विदुषीविषयमाह।

Anvay:

याः स्वसारः कन्यास्तिसृभ्यः कुविद्वरमा ययुस्ता अस्य नेष्टुर्वर्णमिदमायुवो धेनव इव सर्वान् सुखैः सचन्त ॥५॥

Word-Meaning: - (ताः) (अस्य) वेदस्य (वर्णम्) स्वीकरणीयम् (आयुवः) प्राप्ताः (नेष्टुः) नायकस्य (सचन्त) सङ्गमयन्ति (धेनवः) गावः (कुवित्) बहुः। कुविदिति बहुना० निघं० ३। १ (तिसृभ्यः) कर्मोपासनाज्ञानविद्याभ्यः (आ) समन्तात् (वरम्) वरणीयं बन्धुसमुदायम् (स्वसारः) भगिन्यः (याः) (इदम्) जलम् (ययुः) प्राप्नुयुः ॥५॥
Connotation: - याः स्वसारः कन्याः प्रियं बन्धुं विद्याविषयञ्च प्राप्नुवन्ति ताः धेनुवदुत्तमं सुखं जनयन्ति ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या भगिनी व कन्या प्रिय बंधूंना स्वीकारून विद्या प्राप्त करतात त्या गायीप्रमाणे उत्तम सुख देणाऱ्या असतात. ॥ ५ ॥