Go To Mantra

हस्ते॑व श॒क्तिम॒भि सं॑द॒दी नः॒ क्षामे॑व नः॒ सम॑जतं॒ रजां॑सि। इ॒मा गिरो॑ अश्विना युष्म॒यन्तीः॒ क्ष्णोत्रे॑णेव॒ स्वधि॑तिं॒ सं शि॑शीतम्॥

English Transliteration

hasteva śaktim abhi saṁdadī naḥ kṣāmeva naḥ sam ajataṁ rajāṁsi | imā giro aśvinā yuṣmayantīḥ kṣṇotreṇeva svadhitiṁ saṁ śiśītam ||

Mantra Audio
Pad Path

हस्ता॑ऽइव। श॒क्तिम्। अ॒भि। स॒न्द॒दी इति॑ स॒म्ऽद॒दी। नः॒। क्षामा॑ऽइव। नः॒। सम्। अ॒ज॒त॒म्। रजां॑सि। इ॒माः। गिरः॑। अ॒श्वि॒ना॒। यु॒ष्म॒ऽयन्तीः॑। क्ष्णोत्रे॑णऽइव। स्वऽधि॑तिम्। सम्। शि॒शी॒त॒म्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:39» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:5» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:7


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (अश्विना) वायु और अग्नि के समान वर्त्तमान पढ़ाने और परीक्षा करनेवालो ! जो अग्नि और वायु (शक्तिम्) तीक्ष्ण अग्रभागवाली शक्ति को (हस्तेव) हाथों के समान (नः) हम लोगों को (अभि,सन्ददी) जिनसे अच्छे प्रकार देते वा (क्षामेव) पृथिवी के समान (नः) हम लोगों को (रजांसि) ऐश्वर्यवालों को (समजतम्) अच्छे प्रकार प्राप्त कराते हैं वा (क्ष्णोत्रेणेव) तेजस्वी करनेवाले साधन से जैसे वैसे (इमाः) इन (युष्मयन्तीः) जो तुमको कहती हैं उन (गिरः) सुशिक्षित वाणियों को (स्वधितिम्) वज्र के समान (सम्,शिशीतम्) तीक्ष्ण करें उनके गुण-कर्म और स्वभावों को हम लोगों को बताओ ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे विद्वानो ! जो हाथ की क्रिया को करनेवाले पृथिवी के समान ऐश्वर्य देने अच्छी शिक्षित वाणी के समान पदार्थों को बताने तीक्ष्ण वज्र के समान दारिद्र्य और दुःख का विनाश करनेवाले अग्न्यादि पदार्थ हैं, उनको आज हम लोगों को ग्रहण कराओ ॥७॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे अश्विनेव वर्त्तमानावध्यापकपरीक्षकौ यावग्निवायूशक्तिं हस्तेव नोऽभिसंददी क्षामेव नो रजांसि समजतं क्ष्णोत्रेणेव मा युष्मयन्तीर्गिरः स्वधितिमिव संशिशीतं तयोर्गुणकर्मस्वभावानस्मान् बोधयतम् ॥७॥

Word-Meaning: - (हस्तेव) (शक्तिम्) तीक्ष्णाग्राम् (अभि) (संददी) याभ्यां सम्यग् ददतस्तौ (नः) अस्मान् (क्षामेव) निवासाधिकरणां पृथिवीम्। क्षामेति पृथिवीना० निघं० १। १। (नः) अस्माकम् (सम्) सम्यक् (अजतम्) प्रापयतः (रजांसि) ऐश्वर्याणि लोकान् वा (इमाः) (गिरः) सुशिक्षिता वाणीः (अश्विना) वाय्वग्नी (युष्मयन्तीः) या युष्मानाचक्षते ताः (क्ष्णोत्रेणेव) तेजस्विकारकेण साधनेनेव (स्वधितिम्) (वज्रम्) (सम्) सम्यक् (शिशीतिम्) तीक्ष्णीकुर्य्याताम् ॥७॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे विद्वांसो ये हस्तक्रियाकारकाः पृथिवीवदैश्वर्यप्रदाः सुशिक्षिता वाग्वज्ज्ञापकास्तीक्ष्णवज्रवद्द्रारिद्र्यदुःखविनाशका अग्न्यादयः पदार्थाः सन्ति तानस्मानद्य ग्राहयतः ॥७॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे विद्वानांनो! हस्तक्रिया करणारे, पृथ्वीप्रमाणे ऐश्वर्य देणारे, सुसंस्कारित वाणीचे ज्ञापक, तीक्ष्ण वज्राप्रमाणे दारिद्र्य व दुःखनाशक अग्नी इत्यादी पदार्थ असतात, हे आम्हाला कळू द्या. ॥ ७ ॥