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स॒माव॑वर्ति॒ विष्ठि॑तो जिगी॒षुर्विश्वे॑षां॒ काम॒श्चर॑ताम॒माभू॑त्। शश्वाँ॒ अपो॒ विकृ॑तं हि॒त्व्यागा॒दनु॑ व्र॒तं स॑वि॒तुर्दैव्य॑स्य॥

English Transliteration

samāvavarti viṣṭhito jigīṣur viśveṣāṁ kāmaś caratām amābhūt | śaśvām̐ apo vikṛtaṁ hitvy āgād anu vrataṁ savitur daivyasya ||

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Pad Path

स॒म्ऽआव॑वर्ति। विऽस्थि॑तः। जि॒गी॒षुः। विश्वे॑षाम्। कामः॑। चर॑ताम्। अ॒मा। अ॒भू॒त्। शश्वा॑न्। अपः॑। विऽकृ॑तम्। हि॒त्वी। आ। अ॒गा॒त्। अनु॑। व्र॒तम्। स॒वि॒तुः। दैव्य॑स्य॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:38» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वान् के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (विष्ठितः) विशेषता से स्थित दृढ़ (विश्वेषाम्) समस्त (चरताम्) प्राण धारनेवालों के सुख की (कामः) कामना करने वा (शश्वान्) शीघ्र चलने और (जिगीषुः) जीतने का शील रखनेवाला (अभूत्) होता है वा जो (अमा) घर में (समाववर्त्ति) अच्छे प्रकार वर्त्तमान है (विकृतम्) विकार को प्राप्त हुए (अपः) कर्म को (हित्वी) छोड़ के (दैव्यस्य) विद्वानों से पाये हुए (सवितुः) संसार को उत्पन्न करनेवाले जगदीश्वर के (व्रतम्) नियम को (अनु,आ,अगात्) अनुकूलता से प्राप्त होता वह सुख को भी प्राप्त होता है ॥६॥
Connotation: - जो मनुष्य सब प्राणियों में सुख-दुःख के व्यवहार में समदर्शी परमेश्वर के उपदेश से विरोध न करनेवाले और पापाचरण को छोड़ निश्चित धर्माचरण को करते हैं, वे निरन्तर सुख को प्राप्त होते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

यो विष्ठितो विश्वेषां चरतां सुखस्य कामः शश्वान् जिगीषुरभूद्योमा गृहे समाववर्त्ति विकृतमपो हित्वी दैव्यस्य सवितुर्व्रतमन्वगात्स सुखमप्याप्नोति ॥६॥

Word-Meaning: - (समाववर्त्ति) सम्यगववर्त्यते (विष्ठितः) विशेषेण स्थितः (जिगीषुः) जयशीलः (विश्वेषाम्) सर्वेषाम् (कामः) कमिता (चरताम्) प्राणभृताम् (अमा) गृहम् (अभूत्) भवति (शश्वान्) शीघ्रगतिमान्। शश प्लुतगताविति धातोः क्विबन्तान्मतुप्। (अपः) कर्म (विकृतम्) प्राप्तविकारम् (हित्वी) हित्वा। अत्र स्नात्व्यादयश्चेति निपातनादीत्वम्। (आ) (अगात्) (अनु) (व्रतम्) नियमम् (सवितुः) जगदुत्पादकस्य (दैव्यस्य) देवैर्विद्वद्भिर्लब्धस्य जगदीश्वरस्य ॥६॥
Connotation: - ये मनुष्याः सर्वेषु प्राणिषु सुखदुःखव्यवहारे समदर्शिनः परमेश्वस्योपदेशादविरोधिनः पापाचरणं विहाय निश्चितं धर्ममाचरन्ति ते शाश्वतं सुखं लभन्ते ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे सर्व प्राण्यात सुख-दुःख समान पाहणारी असतात, परमेश्वराच्या उपदेशाचा विरोध न करणारी असतात व पापाचरण सोडून निश्चित धर्माचरण करणारी असतात त्यांना शाश्वत सुख मिळते. ॥ ६ ॥