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धा॒रा॒व॒रा म॒रुतो॑ धृ॒ष्ण्वो॑जसो मृ॒गा न भी॒मास्तवि॑षीभिर॒र्चिनः॑। अ॒ग्नयो॒ न शु॑शुचा॒ना ऋ॑जी॒षिणो॒ भृमिं॒ धम॑न्तो॒ अप॒ गा अ॑वृण्वत॥

English Transliteration

dhārāvarā maruto dhṛṣṇvojaso mṛgā na bhīmās taviṣībhir arcinaḥ | agnayo na śuśucānā ṛjīṣiṇo bhṛmiṁ dhamanto apa gā avṛṇvata ||

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Pad Path

धा॒रा॒व॒राः। म॒रुतः॑। घृ॒ष्णुऽओ॑जसः। मृ॒गाः। न। भी॒माः। तवि॑षीभिः। अ॒र्चिनः॑। अ॒ग्नयः॑। न। शु॒शु॒चा॒नाः। ऋ॒जी॒षिणः॑। भृमि॑म्। धम॑न्तः। अप॑। गाः। अ॒वृ॒ण्व॒त॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:34» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:19» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पन्द्रह चावाले चौंतीसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में विद्वानों के विषय का वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - हे विद्वानो (धारावराः) धाराप्रवाह शिक्षित वाणियों के बीच न्यून जिनकी वाणी (मरुतः) वे मरणधर्मयुक्त (भीमाः) दुष्टों के प्रति भयंकर (मृगाः) सिंहों के (न) समान (धृष्ण्वोजसः) पराक्रम को धारण किये हुए (शुशुचानाः) शुद्ध वा शोधनेवाले (अग्नयः) पावक अग्नियों के (न) समान (तविषीभिः) बलयुक्त सेनाओं से (अर्चिनः) सत्कार करनेवाले (जीषिणः) कोमल स्वभावी मनुष्य (भृमिम्) अनवस्था को (अप,धमन्तः) दूर करते हुए आप (गाः) सुशिक्षित वाणियों को (अवृण्वत) स्वीकार करें ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो मनुष्य पावक के समान पवित्र, जल के समान कोमल, सिंह के समान पराक्रम करनेवाले, वायु के समान बलिष्ठ होकर अन्याय को निवृत्त करें, वे समस्त सुखको प्राप्त हों ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

हे विद्वांसो धारावरा मरुतो भीमा मृगाः न धृष्ण्वोजसः शुशुचाना अग्नयो न तविषीभिरर्चिन चीषिणो भृमिमपधमन्तो भवन्तो गा अवृण्वत ॥१॥

Word-Meaning: - (धारावराः) धारासु शिक्षितासु वाणीष्ववरा अर्वाचीना येषान्ते (मरुतः) मरणधर्मयुक्ताः (धृष्ण्वोजसः) धृष्णु धृष्टमोजो येषान्ते (मृगाः) मृगेन्द्राः सिंहाः (न) इव (भीमाः) दुष्टान् प्रति भयंकराः (तविषीभिः) बलयुक्ताभिः सेनाभिः (अर्चिनः) सत्कर्त्तारः (अग्नयः) पावकाः (न) इव (शुशुचानाः) शुद्धाः शोधका वा (जीषिणः) कोमलस्वभावाः (भृमिम्) अनवस्थाम् (धमन्तः) दूरीकुर्वन्तः (अप) (गाः) सुशिक्षिता वाचः (अवृण्वत) स्वीकुर्वन्तु ॥१॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये मनुष्या पावकवत्पवित्रा जलवत्कोमलाः सिंहवत्पराक्रमिणो वायुवद्बलिष्ठा भूत्वाऽन्यायं निवर्त्तयेयुस्तेऽखिलं सुखमाप्नुयुः ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वान व वायूच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्वसूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - भावार्थ -या मंत्रात उपमालंकार आहे. जी माणसे पावकाप्रमाणे (अग्नीप्रमाणे) पवित्र, जलाप्रमाणे कोमल, सिंहाप्रमाणे पराक्रमी, वायूप्रमाणे बलवान बनून अन्याय निवारण करतात, ती संपूर्ण सुख प्राप्त करतात. ॥ १ ॥