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या गु॒ङ्गूर्या सि॑नीवा॒ली या रा॒का या सर॑स्वती। इ॒न्द्रा॒णीम॑ह्व ऊ॒तये॑ वरुणा॒नीं स्व॒स्तये॑॥

English Transliteration

yā guṅgūr yā sinīvālī yā rākā yā sarasvatī | indrāṇīm ahva ūtaye varuṇānīṁ svastaye ||

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Pad Path

या। गु॒ङ्गूः। या। सि॒नी॒वा॒ली। या। रा॒का। या। सर॑स्वती। इ॒न्द्रा॒णीम्। अ॒ह्वे॒। ऊ॒तये॑। व॒रु॒णा॒नीम्। स्व॒स्तये॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:32» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:15» Mantra:8 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे पुरुषो ! जैसे मैं (या) जो (गुङ्गूः) गुङ्गमुङ्ग बोले वा (या) जो (सिनीवाली) प्रेमास्पद को प्राप्त हुई (या) जो (राका) पौर्णमासी होती वैसी पूर्ण कान्तिमती और (या) जो (सरस्वती) विद्या तथा सुन्दर शिक्षा सहित वाणी से युक्त वर्त्तमान है, उस (इन्द्राणीम्) परमैश्वर्य्ययुक्त को (ऊतये) रक्षा आदि के लिये (अह्वे) बुलाता हूँ उस (वरुणानीम्) श्रेष्ठ की स्त्री को (स्वस्तये) सुख के लिये बुलाता हूँ, वैसे तुम भी अपनी-अपनी स्त्री को बुलाओ ॥८॥
Connotation: - यदि कोई स्त्री गूँगी और कोई उत्तम सर्वलक्षणसम्पन्न विदुषी हो, उसे ऐश्वर्य और सुख निरन्तर बढ़ाने चाहिये ॥८॥ इस सूक्त में विद्वानों की मित्रता और स्त्री के गुणों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ के साथ पिछले सूक्तार्थ की संगति है, यह जानना चाहिये ॥ यह बत्तीसवाँ सूक्त पन्द्रहवाँ वर्ग और तीसरा अनुवाक समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे पुरुषा यथाऽहं या गुङ्गूर्या सिनीवाली या राका या च सरस्वती वर्त्तते तामिन्द्राणीमूतयेऽह्वे तां वरुणानीं स्वस्तयेऽह्वे तथा यूयमपि स्वकीयां स्वकीयां स्त्रियमाह्वयत ॥८॥

Word-Meaning: - (या) (गुङ्गूः) अव्यक्तोच्चारणा (सिनीवाली) प्रेमास्पदप्रवणा (या) (राका) पौर्णमासीवद्वर्त्तमाना (या) (सरस्वती) विद्यासुशिक्षासहितया वाचा युक्ता (इन्द्राणीम्) परमैश्वर्ययुक्ताम् (अह्वे) आह्वयामि (ऊतये) रक्षणाद्याय (वरुणानीम्) श्रेष्ठस्य स्त्रियम् (स्वस्तये) सुखाय ॥८॥
Connotation: - यदि काचित् स्त्री मूका काचिच्छ्रेष्ठा सर्वलक्षणसंपन्ना विदुषी भवेत्तयैश्वर्यसुखे सततं वर्द्धनीये इति ॥८॥ अत्र विद्वन्मित्रस्त्रीगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिरस्तीति वेद्यम् ॥ इति द्वात्रिंशत्तमं सूक्तं पञ्चदशो वर्गस्तृतीयोऽनुवाकश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जर एखादी स्त्री मुकी वा एखादी उत्तम सर्व लक्षणसंपन्न विदुषी असेल तर तिच्याद्वारे ऐश्वर्य व सुख निरंतर वाढवावे. ॥ ८ ॥