Go To Mantra

अ॒स्माकं॑ मित्रावरुणावतं॒ रथ॑मादि॒त्यै रु॒द्रैर्वसु॑भिः सचा॒भुवा॑। प्र यद्वयो॒ न पप्त॒न्वस्म॑न॒स्परि॑ श्रव॒स्यवो॒ हृषी॑वन्तो वन॒र्षदः॑॥

English Transliteration

asmākam mitrāvaruṇāvataṁ ratham ādityai rudrair vasubhiḥ sacābhuvā | pra yad vayo na paptan vasmanas pari śravasyavo hṛṣīvanto vanarṣadaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

अ॒स्माक॑म्। मि॒त्रा॒व॒रु॒णा॒। अ॒व॒त॒म्। रथ॑म्। आ॒दि॒त्यैः। रु॒द्रैः। वसु॑ऽभिः। स॒चा॒ऽभुवा॑। प्र। यत्। वयः॑। न। पप्त॑न्। वस्म॑नः। परि॑। श्र॒व॒स्यवः॑। हृषी॑वन्तः। व॒नः॒ऽसदः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:31» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:14» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:1


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब इकतीसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में शिल्पविद्या का विषय कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (सचाभुवा) गुणसम्बन्ध के साथ हुए (मित्रावरुणा) राजप्रजा पुरुषो ! जैसे तुम लोग (आदित्यैः) महीनों के तुल्य वर्त्तमान पूर्ण विद्वान् (रुद्रैः) प्राण के तुल्य बलवान् (वसुभिः) भूमि आदि के तुल्य गुणयुक्त जनों ने बनाये (अस्माकम्) हमारे (रथम्) रथ पर चढ़के (प्र,अवतम्) अच्छे प्रकार चलो तथा (यत्) जो (वस्मनः) वसते हुये (श्रवस्यवः) अपने को अन्न चाहनेवाले (हृषीवन्तः) बहुत आनन्दयुक्त (वनर्षदः) वन में रहनेवाले (वयः,न) पक्षियों के तुल्य सब ओर से (परि,पप्तन्) उड़े ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्यों को चाहिये कि विद्वानों का अनुकरण करके विमानादि यान बना के पक्षी के तुल्य अन्तरिक्षादि मार्गों में सुख से गमनागमन किया करें ॥१॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ शिल्पविषयमाह।

Anvay:

हे सचाभुवा मित्रावरुणा यथा युवामादित्यै रुद्रैर्वसुभिर्निर्मितमस्माकं रथमासाद्य प्रावतं तथा यद्वस्मनः श्रवस्यवो हृषीवन्तो वनर्षदो वयो न परिपप्तन् ॥१॥

Word-Meaning: - (अस्माकम्) (मित्रावरुणा) राजप्रजाजनौ (अवतम्) गच्छतम् (रथम्) यानम् (आदित्यैः) मासैरिव वर्त्तमानैः पूर्णविद्यैः (रुद्रैः) प्राणवद्बलिष्ठैः (वसुभिः) भूम्न्यादिवद्गुणाढ्यैर्जनैः (सचाभुवा) सचेन गुणसमवायेन सह भवन्तौ (प्र) (यत्) ये (वयः) पक्षिणः (न) इव (पप्तन्) पतेयुः (वस्मनः) निवसन्तः (परि) (श्रवस्यवः) आत्मनः श्रवोऽन्नमिच्छवः (हृषीवन्तः) बहुहर्षयुक्ताः (वनर्षदः) ये वने सीदन्ति ते। अत्र वाच्छन्दसीति रेफागमः ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैर्विदुषामनुकरणं कृत्वा विमानादीनि यानानि रचयित्वा पक्षिवदन्तरिक्षादिमार्गेषु सुखेन गमनाऽगमने कार्ये ॥१॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वान व विदुषी स्त्रियांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्तात सांगितलेल्या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - भावार्थ -या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. माणसांनी विद्वानांचे अनुकरण करून विमान इत्यादी याने तयार करून पक्ष्यांप्रमाणे अंतरिक्षमार्गात सुखाने गमनागमन करावे. ॥ १ ॥