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धृत॑व्रता॒ आदि॑त्या॒ इषि॑रा आ॒रे मत्क॑र्त रह॒सूरि॒वागः॑। शृ॒ण्व॒तो वो॒ वरु॑ण॒ मित्र॒ देवा॑ भ॒द्रस्य॑ वि॒द्वाँ अव॑से हुवे वः॥

English Transliteration

dhṛtavratā ādityā iṣirā āre mat karta rahasūr ivāgaḥ | śṛṇvato vo varuṇa mitra devā bhadrasya vidvām̐ avase huve vaḥ ||

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Pad Path

धृत॑ऽव्रताः। आदि॑त्याः। इषि॑राः। आ॒रे। मत्। क॒र्त॒। र॒ह॒सूःऽइ॑व। आगः॑। शृ॒ण्व॒तः। वः॒। वरु॑ण। मित्र॑। देवाः॑। भ॒द्रस्य॑। वि॒द्वान्। अव॑से। हु॒वे॒। वः॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:29» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब उन्तीसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में विद्वान् के विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (आदित्याः) सूर्य्य के तुल्य विद्या के प्रकाशक (इषिराः) ज्ञानयुक्त (धृतव्रताः) नियमों को धारण किए हुए (देवाः) विद्वान् लोगो ! तुम (मत्) मेरे (आरे) दूर वा समीप में सत्य को प्रवृत्त (कर्त्त) करो (रहसूरिव) एकान्त में जननेवाली व्यभिचारिणी के तुल्य (आगः) अपराध को मत करो (विद्वान्) विद्वान् मैं (शृण्वतः) सुनते हुए (वः) आपको (अवसे) रक्षा आदि के लिये (हुवे) बुलाता हूँ (वः) तुम लोगों के अपराध को मैं नष्ट करूँ। हे (वरुण) सर्वोत्तम (मित्र) मित्र ! आप (भद्रस्य) कल्याण की रक्षा के लिये प्रवृत्त हों ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो धर्माचरण करनेवाले अधर्म से पृथक् सबको रखने में प्रवर्त्तमान हैं, वे कल्याण को प्राप्त होते हैं ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

हे आदित्या इव इषिरा धृतव्रता देवा विद्वांसो यूयं मदारे सत्यं कर्त्त रहसूरिवागो मा कुरुत। विद्वानहं शृण्वतो वोऽवसे हुवे। वोऽपराधं नाशयेयम्। हे वरुण मित्र त्वं भद्रस्याऽवसे प्रवर्त्तस्व ॥१॥

Word-Meaning: - (धृतव्रताः) धृतानि व्रतानि यैस्ते (आदित्याः) सूर्य्यवद्विद्याप्रकाशकाः (इषिराः) ज्ञानवन्तः (आरे) समीपे दूरे वा (मत्) मम व्यत्ययेन पञ्चमी (कर्त्त) कुरुत (रहसूरिव) या रह एकान्ते सूते सा (आगः) अपराधम् (शृण्वत:) (वः) युष्मान् (वरुण) अत्युत्कृष्ट (मित्र) (देवाः) विद्वांसः (भद्रस्य) कल्याणस्य (विद्वान्) (अवसे) रक्षणादिने (हुवे) (वः) युष्मान् ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये धर्माचारिणः सर्वेषामधर्मात् पृथग् रक्षणे प्रवर्त्तमानास्ते कल्याणमाप्नुवन्ति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे धर्माचरण करतात, सर्वांना अधर्मापासून पृथक ठेवतात, त्यांचे कल्याण होते. ॥ १ ॥