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तव॑ व्र॒ते सु॒भगा॑सः स्याम स्वा॒ध्यो॑ वरुण तुष्टु॒वांसः॑। उ॒पाय॑न उ॒षसां॒ गोम॑तीनाम॒ग्नयो॒ न जर॑माणा॒ अनु॒ द्यून्॥

English Transliteration

tava vrate subhagāsaḥ syāma svādhyo varuṇa tuṣṭuvāṁsaḥ | upāyana uṣasāṁ gomatīnām agnayo na jaramāṇā anu dyūn ||

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Pad Path

तव॑। व्र॒ते। सु॒ऽभगा॑सः। स्या॒म॒। सु॒ऽआ॒ध्यः॑। व॒रु॒ण॒। तु॒स्तु॒ऽवांसः॑। उ॒प॒ऽअय॑ने। उ॒षसा॑म्। गोऽम॑तीनाम्। अ॒ग्नयः॑। न। जर॑माणाः। अनु॑। द्यून्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:28» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:9» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (वरुण) श्रेष्ठ सज्जन विद्वान् पुरुष (तव) आपके (व्रते) सुशीलता रूप नियम में (स्वाध्यः) सुन्दर विज्ञानवाले (तुष्टुवांसः) स्तुतिकर्त्ता (गोमतीनाम्) प्रशस्त गौओंवाली (उषसाम्) प्रातःकाल की वेलाओं के (उपायने) समीप प्राप्त होने में (अग्नयः) अग्नियों के (न) तुल्य तेजस्वी (जरमाणाः) स्तुति करते हुए हम लोग (अनु, द्यून्) अनुकूल विद्या प्रकाशों को प्राप्त होके (सुभगासः) सुन्दर ऐश्वर्यवाले (स्याम) होवें ॥२॥
Connotation: - विद्यार्थी और उपदेश सुननेवाले मनुष्यों को चाहिये कि सदा विद्वानों का सङ्ग और सेवा करके प्रतिदिन विद्या का ग्रहण करें, जैसे प्रातःकाल के समय में सब पदार्थ सुशोभित होते हैं, वैसे वे भी होवें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे वरुण तव व्रते स्वाध्यस्तुष्टुवांसो गोमतीनामुषसामुपायनेऽग्नयो न जरमाणा वयमनुद्यून्प्राप्य सुभगासः स्याम ॥२॥

Word-Meaning: - (तव) (व्रते) सुशीले (सुभगासः) शोभनैश्वर्य्याः (स्याम) (स्वाध्यः) सुष्ठु धीर्येषान्ते (वरुण) (तुष्टुवांसः) स्तोतारः (उपायने) समीपे प्राप्ते (उषसाम्) प्रत्यूषकालानाम् (गोमतीनाम्) प्रशस्तगोयुक्तानाम् (अग्नयः) पावकाः (न) इव (जरमाणाः) स्तुवन्तः (अनु) (द्यून्) विद्याप्रकाशान् ॥२॥
Connotation: - विद्यार्थ्युपदेश्यैर्मनुष्यैः सदा विदुषां सङ्गसेवे कृत्वा विद्या प्रत्यहं ग्राह्या यथोषःसमये सर्वे पदार्थाः सुशोभिता भवन्ति तथा तेऽपि स्युः ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - विद्यार्थी व उपदेश ऐकणाऱ्यांनी सदैव विद्वानांचा संग व सेवा करून प्रत्येक दिवशी विद्या ग्रहण करावी. जसे प्रातःकाली सर्व पदार्थ सुशोभित होतात तसे तेही व्हावेत. ॥ २ ॥