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इ॒मं स्तोमं॒ सक्र॑तवो मे अ॒द्य मि॒त्रो अ॑र्य॒मा वरु॑णो जुषन्त। आ॒दि॒त्यासः॒ शुच॑यो॒ धार॑पूता॒ अवृ॑जिना अनव॒द्या अरि॑ष्टाः॥

English Transliteration

imaṁ stomaṁ sakratavo me adya mitro aryamā varuṇo juṣanta | ādityāsaḥ śucayo dhārapūtā avṛjinā anavadyā ariṣṭāḥ ||

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Pad Path

इ॒मम्। स्तोम॑म्। सऽक्र॑तवः। मे॒। अ॒द्य। मि॒त्रः। अ॒र्य॒मा। वरु॑णः। जु॒ष॒न्त॒। आ॒दि॒त्यासः॑। शुच॑यः। धार॑ऽपूताः। अवृ॑जिनाः। अ॒न॒व॒द्याः। अरि॑ष्टाः॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:27» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:6» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पढ़ाने पढ़नेवालों के विषय में अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - (सक्रतवः) समान बुद्धिवाले (मित्रः) मित्र (अर्यमा) न्यायाधीश और (वरुणः) सबसे उत्तम (शुचयः) सूर्य के तुल्य पवित्र कारक (धारपूताः) पवित्र वाणी से युक्त (अवृजिनाः) वर्जनीय पाप से रहित (अनवद्याः) प्रशंसा को प्राप्त (अरिष्टाः) अहिंसनीय वा किसी को दुःख न देनेवाले (आदित्यासः) पूर्ण विद्यायुक्त (अद्य) आज (मे) मेरे (इमम्) इस (स्तोमम्) स्तुति को (जुषन्त) सेवन करें ॥२॥
Connotation: - सब विद्याप्रिय मनुष्यों को चाहिये कि पूर्ण विद्यावालों को अपने पढ़े की परीक्षा देके अपनी विद्या को निश्चित निर्भ्रम करें और परीक्षक लोग भी पक्षपात को छोड़ के परीक्षा करें क्योंकि ऐसे किये बिना यथावत् विद्या नहीं हो सकती है ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाध्यापकाध्येतृविषयमाह।

Anvay:

सक्रतवो मित्रोऽर्य्यमा वरुणश्च शुचयो धारपूता अवृजिना अनवद्या अरिष्टा आदित्यासोऽद्य म इमं स्तोमं जुषन्त ॥२॥

Word-Meaning: - (इमम्) (स्तोमम्) स्तुतिम् (सक्रतवः) समाना क्रतुः प्रज्ञा येषान्ते (मे) मम (अद्य) (मित्रः) सखा (अर्यमा) न्यायेशः (वरुणः) सर्वोत्कृष्टः (जुषन्त) सेवन्ताम्। अत्राडभावः (आदित्यासः) पूर्णविद्याः (शुचयः) सूर्य इव पवित्रकारकाः (धारपूताः) धारा वाणी पूता पवित्रा येषान्ते। धारेति वाङ्नामसु निघं० १। ११ (अवृजिनाः) अविद्यमानं वृजिनं वर्जनीयं पापं येषान्ते (अनवद्याः) प्रशंसनीयाः (अरिष्टाः) अहिंसनीया न कञ्चिद्धिंसितवन्तः ॥२॥
Connotation: - सर्वैर्विद्याप्रियैर्मनुष्यैः पूर्णविद्यानां स्वाध्यायस्य परीक्षां दत्त्वा स्वविद्या निश्चिता निर्भ्रमा कार्य्या परीक्षकाश्च पक्षपातं विहाय परीक्षां कुर्युर्नैतेन विना यथावद्विद्याभवितुमर्हति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - भावार्थ -सर्व विद्याप्रिय माणसांनी पूर्ण विद्वानांसमोर स्वाध्यायाची परीक्षा द्यावी व आपली विद्या निश्चित निर्भ्रम करावी. परीक्षकांनीही भेदभाव न करता परीक्षा घ्यावी. कारण असे केल्याशिवाय यथायोग्य विद्या मिळू शकत नाही. ॥ २ ॥